क्या नीतीश सरकार रद्द करेगी BPSC PT EXAM!, दुविधा में हैं गंभीर अभ्यर्थी..

सरकार के मंत्री मान रहे हैं कि यह अभ्यर्थियों से ज्यादा विपक्षी दलों के नेताओं का आंदोलन है, जिसमें सबसे बड़ा हितेषीसाबित करने की होड़ लगी है

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Patna – बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा 13 दिसंबर को आयोजित 70वी संयुक्त पीटी परीक्षा को रद्द कर दोबारा लेने की मांग को लेकर आंदोलन जारी है. गर्दनीबाग धरना स्थल पर जहां कुछ अभ्यर्थियों का सत्याग्रह चल रहा है वहीं कई राजनीतिक दल इस आंदोलन के समर्थन में है, और खुद को अभ्यर्थियों के सबसे बड़ा हितेषी साबित करने के लिए एक दूसरे के खिलाफ ओछी बयान बाजी भी कर रहे हैं. ऐसे में सत्ताधारी दल के नेता और मंत्री मान रहे हैं कि यह आंदोलन अभ्यर्थियों से ज्यादा विपक्षी दलों के नेताओं का आपसी संघर्ष और अभ्यर्थियों का सबसे बड़ा रहनुमा साबित करने के लिए किया जा रहा है, ऐसे में सरकार शायद ही परीक्षा को रद्द करने का निर्णय ले. इसका संकेत उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने आज मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए दिया है.सम्राट चौधरी ने कहा कि बीपीएससी पूरी तरह से स्वतंत्र है. सरकार ने फ्री हैंड दिया है. वो निर्णय ले. छात्रों के संबंध में कोई भी निर्णय लेने के लिए वो स्वतंत्र है. वो तय करेगा कि छात्रों का हित क्या है. इससे पहले शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने भी कहा था कि परीक्षा पर अंतिम निर्णय लेने के लिए बीपीएससी स्वतंत्र है.

वहीं बिहार लोक सेवा आयोग इस परीक्षा में किसी भी तरह की गड़बड़ी होने से साफ इनकार कर रहा है. आयोग के अध्यक्ष और सचिव ने कई बार कहा है कि अगर किसी तरह की गड़बड़ी और पेपर लीक नहीं हुई है तो फिर परीक्षा क्यों रद्द की जाए. आयोग की तरफ से कई कोचिंग के संचालक और अभ्यर्थियों को नोटिस भेज कर जवाब देने के लिए कहा गया है कि अगर पेपर लीक हुआ है तो उसका सबूत दें और अगर नहीं हुआ है तो बेवजह आयोग को बदनाम ना करें और ऐसा करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. आयोग के इस नोटिस के बाद कोचिंग संचालक रहमान जैसे शिक्षक ने कहा था कि उन्होंने कभी भी पेपर लीक होने का आरोप नहीं लगाया है..
आयोग के अध्यक्ष ने कहा है कि पटना के बापू परीक्षा केंद्र पर गड़बड़ी करने की करने की कोशिश हुई थी, जिस वजह से कई परीक्षार्थी सही तरीके से परीक्षा नहीं दे पाए थे, यही वजह है कि आयोग ने संज्ञान लेते हुए उस परीक्षा केंद्र की परीक्षा रद्द कर दी है और 4 जनवरी को उस केंद्र की दोबारा परीक्षा ली जा रही है, दूसरे सेंटर पर किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हुई है, अगर दूसरे सेंटर पर किसी तरह की गड़बड़ी का सबूत अभ्यर्थी या किसी अन्य के द्वारा दिया जाता है तो आयोग जरूर उसकी जांच पड़ताल करेगा, पर आंदोलनकारी किसी प्रकार की तथ्यात्मक जानकारी देने के बजाय सिर्फ हो हंगामा कर परीक्षा को रद्द करना चाह रहे हैं.

वही आंदोलन करने वाले अभ्यर्थी भी पेपर लीक होने की शिकायत नहीं कर रहे हैं और किस तरह की गड़बड़ी हुई है इसके बारे में भी स्पष्ट रूप से तथ्यात्मक जानकारी नहीं दे पा रहे हैं. ये आंदोलनकारी छात्र 13 दिसंबर की परीक्षा रद्द कर फिर से लेने, गड़बड़ी की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनाने, आंदोलनकारी छात्रों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने और लाठी चार्ज करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. आंदोलन में बीपीएससी अभ्यर्थी से ज्यादा नेता कैटेगरी के लोग दिख रहे हैं, जो आंदोलन के बहाने अपना चेहरा चमकाना चाहते हैं. मीडिया को बाइट देते हुए एक ऐसी युवती का चेहरा लगातार दिख रहा है जो दिल्ली समेत अन्य जगहों पर छात्रों के होने वाले आंदोलन में भी दिख रही थी.

उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के बयान से साफ संकेत है कि सरकार इस आंदोलन को अभ्यर्थियों से ज्यादा राजनीतिक आंदोलन मान रही है, इसीलिए इसको ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही है, पर इस आंदोलन की वजह से वैसे छात्र भी भ्रम की स्थिति में हैं, जिनकी परीक्षा अच्छी है और उन्हें प्रारंभिक परीक्षा में सफल होने की उम्मीद है और वे मुख्य परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, पर उन्हें इस बात का भय सता रहा है कि इस आंदोलन की वजह से अगर प्रारंभिक परीक्षा रद्द की गई तो फिर उनकी तैयारी का क्या होगा, क्योंकि मुख्य परीक्षा और प्रारंभिक परीक्षा का सिलेबस और पैटर्न अलग-अलग है.ऐसे में BPSC की तरह ही सरकार को इस परीक्षा और आंदोलन को लेकर स्पष्ट कर देना चाहिए कि वह क्या चाहती है. वह बीपीएससी के निर्णय के साथ है या फिर आंदोलनकारी छात्रों की मांग के साथ, क्योंकि जितना जल्दी इस मुद्दे पर सरकार की स्पष्टता आ जाएगी उतना ही बेहतर उन परीक्षार्थियों के लिए होगा जो गंभीरता से मुख़्य परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं.

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