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ACTION में IAS केके पाठक: लापरवाह सैकड़ों प्रधानाध्यापक और शिक्षकों का वेतन किया बंद

स्कूल से अनुपस्थित पाए गए और विकास योजनाओं में लापरवाही बरतने वाले प्रधानाध्यापक और शिक्षकों पर हो रही कार्रवाई

Desk- पीत पत्र पर हुए बवाल के बाद बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर मौन धारण किए हुए हैं वहीं विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक एक्शन में हैं. वे लगातार स्कूलों का निरीक्षण कर रहे हैं और ताबड़तोड़ आदेश निकाल रहे हैं. इस क्रम में लापरवाही और मनमानी करने वाले शिक्षकों, कर्मचारियों और प्रधानाध्यापकों के खिलाफ लगातार कार्रवाई भी हो रही है.
केके पाठक एवं अन्य अधिकारियों के 1 से 18 जुलाई तक निरीक्षण के क्रम में स्कूल से गायब मिले 304 शिक्षक का वेतन रोक दिया गया है वहीं 25 प्रधानाध्यापकों के वेतन पर भी रोक लगा दी गई है. इन सभी से स्पष्टीकरण पूछा गया है और संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर आगे और सख्त कार्रवाई की जा सकती है.
स्कूल से गैरहाजिर रहने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई के साथ ही विभिन्न मदों से स्कूलों में कराए जाने वाले विकास कार्यों में लापरवाही या मनमानी करने वाले प्रधानाध्यापकों के खिलाफ भी कार्रवाई शुरू की गई है और इस कड़ी में 63 प्रधानाध्यापकों से स्पष्टीकरण मांगा गया है क्योंकि इनके स्कूलों में या तो विकास के कार्य शुरू ही नहीं किए गए हैं और अगर कहीं किए भी गए हैं तो उसकी प्रगति काफी धीमी है.

बताते चलें कि अपर मुख्य सचिव केके पाठक के पहले के कई आदेश की चर्चा पूरे बिहार भर में हो रही है जिसमें शिक्षकों और छात्रों का ऑनलाइन उपस्थिति, क्लासरूम से शिक्षकों के लिए कुर्सी हटाने और अधिकारियों द्वारा स्कूलों का लगातार निरीक्षण करने का आदेश भी शामिल है इस आदेश की वजह से स्कूलों की व्यवस्था में काफी सुधार देखने को मिल रहा है यही वजह है कि कड़क आईएएस माने जाने वाले केके पाठक के आदेश की बिहार के आम लोग तारीफ कर रहे हैं और यह कह रहे हैं कि अगर केके पाठक शिक्षा विभाग में कम से कम 1 साल रह गए तो सरकारी स्कूलों की स्थिति पूरी तरह से बदल जाएगी.

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