Desk- नीतीश-तेजस्वी के महागठबंधन से बाहर होने के बाद पूर्व सीएम जीतनराम मांझी की पार्टी हम अगला लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एनडीए यानी बीजेपी के साथ लड़ेगी. आज बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद जीतनराम मांझी की पार्टी हम ने ऐलान किया है कि अब उनकी पार्टी पूरी तरह से एनडीए के साथ है और 2024 का लोकसभा चुनाव एवं 2025 का विधानसभा चुनाव वह बीजेपी के साथ ही लड़ेगी.
आज दिल्ली स्थित अमित शाह के आवास पर पूर्व सीएम जीतनराम मांझी और उनके बेटे सह हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष कुमार सुमन ने उनसे मुलाकात की है।
मुलाकात के बाद हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ संतोष कुमार सुमन ने कहा कि हम 2024 और 25 लोकसभा और विधानसभा चुनाव एनडीए के साथ रहकर मजबूती से लड़ेंगे।
नीतीश ने दिखाया बाहर का रास्ता
बताते चलें कि लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर विपक्षी पार्टी के नेताओं को एक मंच पर लाने की मुहिम में निकले नीतीश कुमार के समक्ष पूर्व सीएमजीतन राम मांझी की पार्टी हम ने लोकसभा चुनाव में 5 सीट देने को लेकर बयानबाजी की थी जिसके बाद नीतीश कुमार ने एख मुलाकात में जीतनराम मांझी से अपनी पार्टी को जेडीयू में विलय करने को कहा था अन्यथा महागठबंधन छोड़ने की अपील की थी.
नीतीश कुमार के इस सख्त लहजे के बाद जीतनराम मांझी ने अपनी पार्टी का जेडीयू में विलय करने के बजाय महागठबंधन से बाहर निकलना मुनासिब समझा और अपने बेटे संतोष कुमार सुमन को नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा दिलवा दिया.. बाद में 19 जून को हम पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर एनडीए में जाने का निर्णय लिया.बैठक के बाद उन्होंने राज्यपाल से मिलकर महागठबंधन से अपना समर्थन वापस लेने का पत्र भी दिया और ठीक इसके बाद जीतनराम मांझी और उनके बेटे संतोष कुमार सुमन दिल्ली के लिए निकल गए.
आज दिल्ली में उनकी अमित शाह से मुलाकात हुई जिसके बाद उन्होंने घोषणा की कि उनकी पार्टी एनडीए के साथ आगे काम करेगी. हालांकि एनडीए में जाने को लेकर पहले ही उनकी अमित शाह से मुलाकात और बात हो चुकी थी. यह मुलाकात माउंटेनमैन दशरथ मांझी को भारत रत्न देने के मुद्दे के बहाने हुई थी और इसी मुलाकात के बाद जीतन राम मांझी के प्रति नीतीश कुमार की आंखें टेढ़ी हो गई थी और उन्हें लगा कि आज ना कल जीतन राम मांझी महागठबंधन को छोड़कर बीजेपी के साथ जाएंगे इसलिए उन्होंने ऐसी शर्ते रखी जिससे कि देर करने के बजाय मांझी जल्द से जल्द बाहर निकल जाएं. सार्वजनिक रूप से नीतीश कुमार ने यह स्वीकार किया था कि अगर जीतनराम मांझी हमारे साथ रहते और 23 जून को आयोजित हो रही विपक्षी पार्टियों की बैठक में शामिल होते तो इस बैठक में जो भी निर्णय लिया जाता उसकी जानकारी वह बीजेपी को दे देते इसलिए वह नहीं चाहते थे कि जीतनराम मांझी अब उनके साथ रहे.