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बिहार की धरती से बनेगी मोदी सरकार को हराने की रणनीति,महाबैठक के लिए विपक्षी नेताओं का आना शुरु

अरविंद केजरीवाल की पार्टी अपने एजेंडों को आगे बढ़ाने में लगी है..यह नीतीश कुमार के लिए अशुभ संकेत का सूचक है.

Desk- 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी की मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के अभियान को लेकर देश की विपक्षी पार्टियों के नेता महाजुटान कर रहे हैं और यह महाजुटान संपूर्ण क्रांति की धरती और बापू की कर्मस्थली बिहार की राजधानी पटना में हो रही है. यह महाजुटान कल 23 जून को हो रही है और इसके लिए नेताओं का आना आज से ही शुरू हो गया है.
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पटना पहुंच चुकी है. ममता बनर्जी एयरपोर्ट से सीधे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के आवास जाकर उनसे मुलाकात की है.

देखिए वीडियो..जब राबड़ी आवास पहुंच ममता ने लालू के पैर छूए…

वहीं थोड़ी देर बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी पटना की धरती पर पहुंचने वाले हैं हालांकि अरविंद केजरीवाल. और उनकी पार्टी अपने एजेंडे को इस महाबैठक में लाने की कोशिश कर रहें हैं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आम आदमी पार्टी की रणनीति है कि अगर कांग्रेस पार्टी केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ अरविंद केजरीवाल के अभियान में साथ नहीं देती है तो फिर इस महाबैठक का अरविंद केजरीवाल की पार्टी बॉयकाट कर सकती है हालांकि इसको लेकर आधिकारिक रूप से अभी कुछ नहीं कहा गया है लेकिन इस तरह की चर्चा होना ही अपने आप में बहुत बड़ा सवाल है. वहीं आम आदमी पार्टी के एक कार्यकर्ता ने आज पटना की सड़कों पर नीतीश कुमार के खिलाफ एक पोस्टर लगा दिया जिसकी चर्चा हर तरफ होने लगी हालांकि बाद में आम आदमी पार्टी ने इसको लेकर अपना स्पष्टीकरण दिया है.

बताते चलें कि बीजेपी का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाने के ठीक बाद बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने ऐलान किया था कि 2024 के लोकसभा चुनाव में वे विपक्षी दलों को एक मंच पर लाकर केंद्र की मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने की कोशिश करेंगे और इसके लिए उन्होंने अभियान भी शुरू किया था.उन्हौने अलग-अलग राज्यों में जाकर अलग-अलग नेताओं से वन टू वन बात की और फिर एक सामूहिक बैठक करने का निर्णय लिया. यह बैठक कल 23 जून को पटना में आयोजित हो रही है जिसमें सीएम नीतीश कुमार और लालू -तेजस्वी की आरजेडी आयोजक के रूप में काम कर रही है जबकि कांग्रेस के अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे , पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी एवं पार्टी के कई बड़े नेता इस बैठक में शामिल होने आ रहे हैं. कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, तमिलनाडु के सीएम एम के स्टालिन, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी, सीपीआई के नेता डी राजा, सीपीआईएमएल के नेता दीपांकर भट्टाचार्य समेत कई बड़े नेता इसमें शामिल हो रहे हैं.

 

अब देखना है कि इस बैठक में क्या रणनीति बनती है क्योंकि जिन दलों के नेता इस बैठक में शामिल हो रहे हैं उनका आपसी हित भी कहीं न कहीं कि कई राज्यों में टकरा रहा है यही वजह है कि इन्हें एक मंच पर लाकर केंद्र की बीजेपी सरकार के खिलाफ एक मंच से चुनाव लड़ने का अभियान काफी कठिन है .अब देखना है कि नीतीश कुमार को इस अभियान में कितनी सफलता मिलती है.
हालांकि बीजेपी के नेता जिस तरह से बयान बाजी कर रहे हैं उससे लगता है कि विपक्षी दलों की महाबैठक से कहीं न कहीं बीजेपी नेतृत्व थोड़ी सी परेशान दिख रही है क्योंकि अब तक बीजेपी के नेता यही कहते थे कि केंद्र में पीएम पद की कोई वैकेंसी नहीं है लेकिन अब वही बीजेपी के नेता ये पूछ रहे हैं कि विपक्षी नेताओं के बीच पीएम पद का कैंडिडेट कौन होगा यानी उन्हें लगता है कि अगर यह सभी दल एक साथ एक मंच पर बीजेपी के खिलाफ लगे तो बीजेपी को 2019 के रिकॉर्ड को दोहराना काफी मुश्किल होगा और चुनाव में 272 के जादुई नंबर से उन्हें कम सीटें मिली तो पीएम नरेन्द्र मोदी का तीसरी बार सरकार बनाना मुश्किल हो जाएगा.

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