DESK- 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी सभी राजनीतिक दलों द्वारा की जा रही है और इस तैयारी को लेकर विकास योजनाओं में भी जमकर राजनीति हो रही है कई सालों से लंबित दरभंगा में एम्स के निर्माण को लेकर बिहार सरकार द्वारा चिन्हित जमीन को केंद्र सरकार ने अस्वीकार कर दिया है तो अब नीतीश कुमार डीएमसीएच को ही सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का दर्जा देने की तैयारी कर ली है और इसके लिए आज कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी गई है. कैबिनेट ने जिस प्रस्ताव पर मुहर लगाई है उसके अनुसार दरभंगा के DMCH में 2500 बेड का नया एवं अत्याधुनिक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बनेगा.
कैबिनेट से प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के साथ ही महागठबंधन की सरकार इसे मिथिला को सबसे बड़ी सौगात के रूप में प्रचारित करने लगी है और केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है कि वह दरभंगा में एम्स बनाने में तरह-तरह की बहानेबाजी कर रही है बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा कि हमें बताते हुए खुशी है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के निर्देश पर तैयार DMCH, दरभंगा के विकास और इसके परिसर में 2100 बेड के नये सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के निर्माण के प्रस्ताव को आज राज्य कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। इस पर 2546.41 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इससे पहले वर्ष 2019 में भी DMCH में 400 बेड के नये सर्जिकल ब्लॉक के निर्माण को मंजूरी दी गई थी। करीब 600 करोड़ रुपये की लागत से सर्जिकल ब्लॉक का निर्माण कार्य जारी है। इस तरह DMCH में कुल 2500 बेड का नया एवं अत्याधुनिक सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल कुल 3100 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनेगा। आम लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना माननीय मुख्यमंत्री के सात निश्चय 2 का एक प्रमुख अवयव है। इसके तहत मिथिला सहित संपूर्ण उत्तर बिहार की जनता को यह शानदार सौगात देने के लिए माननीय मुख्यमंत्री Nitish Kumar जी के साथ-साथ माननीय उपमुख्यमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री Tejashwi Yadav जी के प्रति भी तहेदिल से आभार व्यक्त करता हूं।
संजय झा ने इस फैसले के बहाने केन्द्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि यह अतिमहत्वपूर्ण फैसला ऐसे समय में हुआ है, जब दरभंगा में एम्स निर्माण के लिए राज्य सरकार द्वारा बहादुरपुर अंचल में शोभन-एकमी बाईपास के निकट मुफ्त जमीन उपलब्ध कराने और उसमें मिट्टी भराई, चहारदीवारी निर्माण तथा फोरलेन कनेक्टिविटी के लिए खुद मुख्यमंत्री द्वारा बार-बार आश्वासन देने, कैबिनेट से मंजूरी मिलने और टेंडर प्रक्रिया पूर्ण हो जाने के बावजूद केंद्र सरकार का रुख सकारात्मक नहीं दिख रहा है।
शोभन-एकमी बाईपास के निकट आवंटित भूमि का केंद्रीय टीम ने राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ जाकर स्थल निरीक्षण किया था। केंद्रीय टीम में शामिल अधिकारियों के हवाले से 29 अप्रैल 2023 को खबर छपी थी कि आवंटित भूमि केंद्रीय टीम को पसंद आई है। ऐसे में यह सवाल महत्वपूर्ण है कि पिछले एक-डेढ़ महीने में ऐसा क्या हुआ, कि केंद्र सरकार एक बार फिर आवंटित भूमि लेने से मुकर रही है!
उल्लेखनीय है कि तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री स्व अरुण जेटली द्वारा वर्ष 2015-16 के बजट में बिहार को दूसरा एम्स देने की घोषणा की गई थी। लेकिन यह किस शहर में बने, इसका फैसला माननीय मुख्यमंत्री को करना था, क्योंकि एम्स के लिए भूमि राज्य सरकार को मुफ्त उपलब्ध करानी थी। मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा था कि PMCH के बाद बिहार का दूसरा सबसे पुराना मेडिकल कॉलेज अस्पताल DMCH है, इसलिए बिहार का दूसरा एम्स भी दरभंगा में ही बनेगा।
मुख्यमंत्री के निर्णय के अनुरूप हमलोग लगातार प्रयास कर रहे थे कि बिहार के लिए घोषित दूसरे एम्स के दरभंगा में निर्माण को केंद्र सरकार से मंजूरी मिले। इस संबंध में हमने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिख कर भी बिहार सरकार की भावना से अवगत कराया। दिल्ली में पीएमओ की बैठक में राज्य के मुख्य सचिव द्वारा भी बताया गया कि बिहार सरकार ने दूसरा एम्स दरभंगा में बनाने का निर्णय लिया है। इसके बावजूद, केंद्र की ओर से आगे की कार्यवाही नहीं हो रही थी।
तब खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2 मार्च 2019 को पटना में आयोजित स्वास्थ्य मंत्रालय के एक कार्यक्रम में पहुंचे तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा जी से बात कर बिहार के लिए घोषित दूसरा एम्स दरभंगा में मंजूर करने की सलाह दी। बाद में जब हर्षवर्धन जी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बने तब माननीय मुख्यमंत्री ने उनसे भी बात की और दरभंगा में एम्स के निर्माण को मंजूरी दिलाने का अनुरोध किया। आखिर पांच साल से ज्यादा वक्त बीतने के बाद, सितंबर 2020 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बिहार के लिए घोषित दूसरे एम्स को आधिकारिक रूप से मंजूरी दी।
सीएम नीतीश कुमार ने पहले DMCH को अपग्रेड कर AIIMS बनाने का सुझाव दिया था, लेकिन केंद्रीय टीम को उस पर आपत्ति थी। फिर DMCH की खाली भूमि का प्रस्ताव दिया गया, लेकिन जायजा लेने पहुंची केंद्रीय टीम ने उस भूमि में भी कई समस्याओं का जिक्र किया था, जिनमें 25 एकड़ भूमि रेलवे लाइन की दूसरी तरफ स्थित होना, अस्पताल परिसर के बीच से सड़क गुजरना और लो लैंड के कारण जल निकासी की प्रयाप्त व्यवस्था न होना प्रमुख थी।
सीएम ने पहले संबंधित विभागों के अधिकारियों से DMCH की भूमि को लेकर बताई गई दिक्कतों को दूर करने के निर्देश दिये, लेकिन फिर लगा कि DMCH परिसर में एम्स बनने से DMCH के विकास में दिक्कत होगी और क्षेत्र को जाम से जूझना पड़ेगा। तब दरभंगा के जिलाधिकारी द्वारा एम्स के लिए दूसरी भूमि आवंटित करने का सुझाव दिया गया। देश में ज्यादातर एम्स ग्रीनफील्ड एरिया (खाली जमीन) में ही स्थापित हुए हैं। इसे देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा बहादुरपुर अंचल अंतर्गत शोभन-एकमी बाईपास के निकट की जमीन चिह्नित की गई।
जनवरी 2023 में अपनी समाधान यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने चिह्नित भूमि का स्थल निरीक्षण किया और उसे उपयुक्त पाया था। मार्च 2023 के पहले सप्ताह में उनकी अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में शोभन-एकमी बाईपास के निकट भूमि आवंटित करने को मंजूरी दी गई। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में और बाहर भी बार-बार स्पष्ट किया कि दरभंगा एम्स के लिए राज्य सरकार न सिर्फ जमीन मुफ्त आवंटित करेगी, बल्कि उसके विकास के लिए जो कुछ भी करना होगा, वह भी अपने स्तर से कराएगी।
अप्रैल 2023 में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में दरभंगा एम्स के लिए 189.17 एकड़ भूमि में मिट्टी भराई, उसके समतलीकरण तथा चहारदीवारी निर्माण के लिए कुल 309 करोड़ 29 लाख 59 हजार रुपये खर्च करने की स्वीकृति दी गई। राज्य सरकार की संस्था बिहार चिकित्सा सेवाएं एवं आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड, पटना द्वारा उक्त भूमि पर मिट्टी भराई, समतलीकरण एवं चहारदीवारी निर्माण के लिए निविदा की प्रक्रिया पूर्ण की जा चुकी है। साथ ही इस कार्य के लिए जल संसाधन विभाग. बिहार ने खिरोई नदी की तलहटी और बागमती नदी के हनुमाननगर से जटमलपुर तक के इलाके से मिट्टी मुफ्त देने की सहमति भी दे दी है।
आवंटित भूमि आमस-दरभंगा फोरलेन से सिर्फ पांच किमी दूर है। बिहार सरकार हाईवे से आवंटित भूमि तक फोरलेन सड़क का भी निर्माण करायेगी, ताकि उत्तर बिहार के किसी भी जिले से लोग जाम में फंसे बिना सुगमता पूर्वक दरभंगा एम्स तक पहुंच सकें। यह स्थल दरभंगा एयरपोर्ट के भी नजदीक है। इससे दरभंगा एम्स में देश-विदेश के विशेषज्ञ चिकित्सकों का आना-जाना सुगम होगा। साथ ही गंभीर मरीजों को एयर एंबुलेंस के जरिये यहां लाना या यहां से बाहर ले जाना संभव होगा।
पटना में एम्स का निर्माण शहर से 12 किमी दूर फुलवारीशरीफ में हुआ है, जिससे नये इलाके का तेजी से विकास हुआ है। दरभंगा में भी शहर की सीमा पर AIIMS का निर्माण होने से शहर को एक नया विस्तार मिलेगा। क्षेत्र में नये आवासीय एवं व्यावसायिक परिसरों का निर्माण होगा और रोजगार के नये-नये अवसर पैदा होंगे।
दरभंगा एम्स का निर्माण अलग भूमि पर होने से DMCH के विकास एवं विस्तार की बाधाएं दूर हो गईं और आज राज्य सरकार की ओर से यह शानदार सौगात दी गई है। मुख्यमंत्री की शुरू से इच्छा रही है कि बिहार में पटना के बाद दरभंगा इलाज का दूसरा बड़ा केंद्र बने।
अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से पुन: अनुरोध किया जा रहा है कि दरभंगा एम्स के लिए आवंटित भूमि पर सकारात्मक रुख अपनाते हुए आगे की कार्यवाही शुरू करे.