52 की उम्र में विधायक जी दे रहे हैं 12 वीं की परीक्षा..वकील बनकर मुफ्त सेवा का है लक्ष्य
जमीन के अंदर मटके में मिली सीता के लिए सुप्रीम कोर्ट का चक्कर लगाने के बाद वकील बनने की मिली प्रेरणा..
Desk(positive news live):-1966 में अभिनेता सुनील दत्त और अभिनेत्री साधना की हिन्दी फिल्म आयी थी..मेरा साया..इस फिल्म का एक गाना काफी फेमस हुआ था..इस गाने के बोल थे झुमका गिरा रे..बरेली के बाजार में…इस गीत की वजह से बरेली की झूमके की चर्चा देश विदेश में होने लगी थी…कई दशक के बाद इस बरेली की चर्चा एक बार फिर से होने लगी है..और इस चर्चा की वजह हैं बरेली की बिथरी-चैनपुर के पूर्व bjp विधायक राजेश मिश्रा..51 साल के मिश्राजी इन दिनों 12वीं की परीक्षा दे रहे हैं और 12 वीं के बाद लॉ की पढाई करेंगे और फिर गरीबों का केस मुफ्त में कोर्ट में लड़ेगें.
वकील बनकर गरीबों का मुफ्त केस लड़ने का मिशन
विधायकजी राजेश मिश्रा की इस मिशन की चर्चा हर तरफ हो रही है और इस वजह से उनकी तारीफ भी हो रही है..वे आम छात्र-छात्राओं की तरह ही रात-रात भर पढाई कर रहें हैं..परीक्षा के केन्द्र पर जाक परीक्षा दे रहें हैं और योगीजी के कदाचार मुक्त परीक्षा के अभियान की तारीफ भी कर रहें हैं।उन्हौने 2020 में मैट्रिक की परीक्षा दी थी और एक नंबर से फर्स्ट क्लास आते आते रह गये थे..पर 12 वीं में कम से कम 70 प्रतिशत मार्क्स लाने का दावा कर रहें हैं.परीक्षा देने के बाद अन्य छात्रा-छात्रा विधायकजी के साथ सेल्फी लेते नजर आते हैं.इस उम्र में विधायकजी की पढाई के प्रति लगन को देखते हुए दूसरे परीक्षार्थियों का भी हौसला बढ रहा है.
50 की उम्र में दुबारा शुरू की पढाई
दरअसल बीजेपी के पूर्व विधायक राजेश मिश्रा का 50 साल की उम्र में पढाई के प्रति खास रूची जागने की एक खास वजह है.दरअसल एक अनाथ बच्ची को विदेशी हाथों में जाने से रोकने के लिए उन्हें निचली अदलात से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़नी पड़ रही है.इस लड़ाई में उन्हें वकीलों को फीस के रूप में मोटी रकम चुकानी पड़ी है.इस रकम को खर्च करने के बाद उन्हें महसूस हुई कि सामान्य आदमी तो न्याय के लिए अदालत जा ही नहीं सकता है क्योंकि वकील की फीस भरना काफी मुश्किल है.
सीता के लिए लगा रहें हैं कोर्ट का चक्कर
अब उस अनाथ बच्ची सीता की बात करते हैं..जिनके लिए विधायकजी कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहें हैं. यह सीता रामायण की सीता मैया की तरह ही जमीन के अंदर मटके में मिली थी..यह किस्सा है 10 अक्टूबर 2019 का…जब बरेली के सिटी श्मशान में एक दंपती अपने नवजात बच्चे का शव दफनाने पहुंचे थे और फावड़े से करीब 3 फीट तक खुदाई की तभी उनका फावड़ा एक घड़े से जा टकराया। उन्होंने उसे निकाला, तो देखा उसमें एक नवजात बच्ची पड़ी है। ये सूचना चारों तरफ जंगल में आग की तरह फैल गई…उस समय विधायक रहे राजेश मिश्रा भी सूचना के बाद मौके पर पहुंचे और फिर अस्पताल में बच्ची को भर्ती करवाकर इलाज करवाया..बच्ची की ठीक होने पर उसका नाम सीता रखा गया ..क्योंकि रामायण की सीता मैया के बारे में भी कहानी प्रचलित है कि खेत में हल जोतने के दौरान राजा जनक को खेत में एक बच्ची मिली थी जिसका नाम सीता रखा गया था.विधायक राजेश मिश्रा ने बच्ची को बाल कल्याण समिति के सामने खुद लेकर पेश हुए सीता नाम से नामकरण करवाया. इसके बाद बच्ची का पालन-पोषण करने के लिए वार्न बेबी फोल्ड संस्था को सौंप दिया गया। जब गोद लेने की बारी आई, तो संस्था ने उसे यूरोप के माल्टा देश के एक दंपती को सौंप दिया.इसका विधायक राजेश मिश्रा समेत इस इलाके के लोगों ने विरोध किया।
विधायक की सोच युवाओं के लिए प्रेरणा
पूर्व विधायक राजेश की मानें तो बच्ची के नाम का गलत डॉक्यूमेंट बना कर उसे गोद दिया जा रहा है.केंद्र सरकार की सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी यानी कारा की वेबसाइट पर भी उस बच्ची का कोई जिक्र नहीं था इसलिए वे कारा के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट चले गए। बच्ची का एडॉप्शन कुछ दिनों के लिए रोक दिया गया, लेकिन, 26 नवंबर 2022 को कोर्ट ने माल्टा की दंपती के पक्ष में फैसला सुना दिया।इस आदेश के खिलाफ राजेश सुप्रीम कोर्ट गए हैं..जहां मामला लंबित है.राजेश मिश्रा और इलाके के लोग किसी भी हालत में सीता को दूसरे देश नहीं जाने देना चाहतें हैं..इसलिए वे निचली से लेकर उपरी अदालत तक का चक्कर लगा रहें हैं.इस चक्कर में उन्हें वकीलों की महंगी फीस का पता चला जिसके बाद वे खुद से वकील बनकर गरीबों को न्याय दिलाने के लिए मुफ्त में केस लड़ना चाहतें हैं और इसकें लिए उन्हौने फिर से पढाई शुरू की है.मैट्रिक पास करने के बाद वे इस साल 12 वीं की परीक्षा दे रहें हैं और पास करने के बाद लॉ में एडमिशन लेंगे..अब देखना है कि विधायकजी का एक मिशन कब तक पूरा हो पाता है…लेकिन इस उम्र में उनका यह प्रयास निश्चित रूप से समाज को एक positive मैसेज दे रहा है.
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