DESK:- अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट में इंडिया के अडानी ग्रुप पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए थे. इसके बाद अडानी के शेयरो में तेजी से गिरावट हुई है. ग्रुप का मार्केट कैप 1000 अरब डॉलर से ज्यादा कम हो चुका है.रिपोर्ट के बाद शेयरों में आी गिरावट की वजह से अडानी विश्व के दूसरे नंबर के अमीरों की सूची से 33वें नंबर पर पहुंच चुकें हैं.एक समय में उनकी संपत्ति मुकेश अंबानी से भी ज्यादा हो गई थी..पर अभी उनकी संपत्ति मुकेश अंबानी से आधी से भी कम हो गई है.हिंडनबर्ग की यह रिपोर्ट 100 पेज में 24 जनवरी, 2023 को जारी की गई थी.
इस रिपोर्ट के बाद से संसद से लेकर शेयर बाजार और सुप्रीम कोर्ट तक हलचच दिखी है..कई दिनों तक इस मुद्दे पर संसद ठप रहा है..और कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष जेपीसी की मांग कर रहा है.शेयर बाजार को रेगूलेट करनेवाली संस्था सेबी ने अडानी समूह से कई तरह की जानकारी मांगी है..वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए पैनल गठित करने की सलाह दी है. वहीं देश का आम लोग भी इस मामले में विशेष रूची दिखा रहें हैं.कोई अडानी को मोदी सरकार की सत्ता के संरक्षण की बात कह रहा है तो कोई अडाणी के संघर्ष गाथा की चर्चा करते हुए देश के विकास में उसके योगदान की चर्चा कर रहा है.
आज हर कोई अडानी के धंधे और उनकी सख्शियत को जानना चाहता है.हम आपको बता रहें हैं कि विश्व के टॉप अमीरों की सूची में आने वाले गौतम अडानी ने भी जीवन में काफी संघर्ष किया है.उनके संघर्ष की कहानी दूसरे निराश लोगों में उम्मीद पैदा करने वाली है.उनके जमीन से लेकर आकाश तक की उड़ान के बारे में हम बताने जा रहें हैं…
आज देश दुनियां में चर्चा के केन्द्र बने गौतम अडानी गुजरात के रहनेवालें हैं.इनका जन्म 1962 में अहमदाबाद में हुआ था..एक वक्त था कि आर्थिक तंगी के कारण गौतम अडानी को अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी ,पर काम के प्रति लगन ,मेहनत और बिजनेश के प्रति ललक ने उन्हें आगे बढने में मदद की.अडानी को जो भी धंधा मिला उसे उन्होंने पूरे मन और लगन से किया और सक्सेस होते चले गए लेकिन उनके फर्श से अर्श तक पहुंचने तक का सफर काफी कठनाईयो से भरा हुआ है।
परिवार में पिता का छोटा सा काम था लेकिन कुछ खाश चल नहीं रहा था ऐसे में वक्त में वे पढाई छोड़कर मुंबई आ गए. कुछ वक्त के बाद उन्हें एक डायमंड सप्लायर की नौकरी मिल गयी। तीन सालो के बाद काम करने के बाद नौकरी छोड़कर ज्वेलरी की ब्रोकरी का धंधा शुरू कर दिया.इस बीच 1981 में उनके बड़े भाई ने उन्हें अहमदाबाद बुलाया और समानो को लपेटने वाले प्लास्टिक की एक कम्पनी चलाने में मदद मांगी.कच्चा माल जरुरत के हिसाब से नहीं मिलने की वजह से यह कंपनी बेहतर काम नहीं कर रही थी.गौतम अडानी ने यहीं पर अपना दिमाग लगाया और दूसरे देशो से कच्चे माल को इम्पोर्ट करना शुरू कर दिया..इसके लिए अडानी ने कांडला पोर्ट पर प्लास्टिक ग्रैन्यूल्स का आयत सुरु किया और 1988 में अडानी एक्सपोर्ट नामक कंपनी शुरू की ,जिसका बाद में नाम बदल कर अडानी इंटरप्राइजेज कर दिया गया।इस कंपनी के तहत धातु, एग्रिकल्चर प्रोडक्ट और कपडे की कमोडिटी ट्रेडिंग होती थी, यह काम तेजी से चल पड़ा तो कुछ ही साल में ये कम्पनी और अडानी का इस बिज़नेस से बड़ा नाम होने लगा.फिर 1994 में अडानी इंटरप्राइजेज को शेयर बाजार में लिस्ट कर दिया गया।
1995 का साल अडानी के लिए ट्रनिंग प्वाइंट वाला रहा..क्योंकि इस वक्त गुजरात सरकार पोर्ट डेवलपमेंट के लिए प्राइवेट कम्पनी की तलाश कर रही थी.इसकी सूचना मिलने के बाद अडानी ने कमाई का एक और सोर्स तैयार करने के लिए गुजरात के सबसे बड़े बंदरगाह मुंद्रा पोर्ट को ही खरीद लिया। मुंद्रा पोर्ट को खरीदने के बाद 1998 में गौतम अडानी ने अडानी पोर्ट्स और लोजिस्टिक्स कम्पनी की शुरुआत की। यह पोर्ट करीब 8000 हेक्टेयर में फैला हुआ है ,जो आज की तारीख में भारत का सबसे बड़ा निजी बंदरगाह है और इस पोर्ट से पूरे भारत के लगभग 1/4 माल की आवाजाही होती है।इसके साथ ही साथ ही यह जगह स्पेशल इकनोमिक जोन के तहत बना है इससे प्रमोटर कम्पनी को कोई टैक्स भी नहीं देना पड़ता है।इस जोन में पावर प्लांट, प्राइवेट रेल लाइन और एक प्राइवेट एयरपोर्ट भी है.
आज अडानी समूह देश के प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रुप में से एक है उनकी अडानी पोर्ट देश की सब बड़ी पोर्ट मैनेजमेंट कम्पनी है और गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, केरला, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, और ओडिशा जैसे सात समुद्री राज्यों में इनके 13 डोमेस्टिक पोर्ट्स है।पोर्ट के बाद अडानी लोगों के रसोई तक पहुंच गए।आज फार्च्यून ब्रांड के जरिए तेल से लेकर आटा तक घर घर में उपयोग हो रहा है. इसके लिए जनवरी 1999 में अडानी ग्रुप ने विलमार बिज़नेस ग्रुप के साथ हाथ मिलाकर खाने के तेल के बिज़नेस में कदम रखा था। फार्च्यून तेल के आलावा अडानी ग्रुप आटा, चावल, दाल, चीनी, जैसे दर्जनों जैसे हिस्सा से जुड़ा हुआ है। जिनके रख रखाव के लिए 2005 में अडानी ग्रुप ने फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया के साथ मिलकर अलग-अलग राज्यों में अनाज रखनेके लिए बड़े-बड़े सायलोस बनाये थे। सायलोस के कनेक्टिविटी के लिए अडानी ग्रुप ने निजी रेल लाइन भी बनायीं हैं,ताकि अनाज को लाने और ले जाने में आसानी हो।
रसोई के साथ ही गौतम अडानी कोयले के कारोबार से जुड़ गये.उन्होंने डोमेस्टिक एलेक्ट्रोसिटी का जनरेशन किया और बड़े-बड़े राज्यों को बिजली सप्लाई करनी सुरु की .इसके लिए उन्हौने ऑस्ट्रिलया के एक कोल माइन्स को खरीद लिया .अडानी ने लिंक-एनर्जी से 12147 करोड़ में कोयला खदान खरीदी थी इस खदान में 7.8 बिलियन टन के खनिज भंडार है जो हर साल 60 मिलियन टन हर साल कोयला पैदा कर सकती है इसी तहर इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी से इंडोनेसिया में मौजूद तेल, गैस, और कोयला के लिए अडानी ग्रुप ने साउथ सुमात्रा से कोयला ढोलाई के लिए 1.5 अरब डॉलर निवेश करने की घोषणा की है.इंडोनेशिया में इन्हौने 5 करोड़ टन की छमता वाले एक कोल हैंडलिंग पोर्ट का निर्माण करने में लगा है और साउथ सुमित्रा आईलैंड की खदानों से कोयला निकालने के लिए 250kms रेल लाइन बिछाने की योजना पर काम कर रहा है.
इसके बाद अडानी समूह नेचुरल गैस के क्षेत्र में भी बिज़नेस को बढ़ाया और 2017 में सोलर PV पैनल बनाना सुरु किये। बंदरगाह और निजी रेल लाइन के बाद अडानी ने एयरपोर्ट्स की तरफ उड़ान भरी और 2019 में अहमदाबाद, लखनऊ, मंगलौर, जयपुर, गुहाठी, और तिरूअनंतपुरम जैसे 6 हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण और ऑपरेशन की जिम्मेदारी उठा ली अब अगले 50 सालो तक अडानी ग्रुप इन सभी एयरपोर्ट का ऑपरेशन, मैनेजमेंट, और डेवलपमेंट संभालेगा।वही मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड में भी अडानी ग्रुप के पास 74% की हिस्सेदारी है.
कई तरह के विवाद यौर सवाल के बावजूद गौतम अडानी का सफर धूल से लेकर फूल तक की यात्रा की तरह है ,इस तरह की यात्रा बिड़ले को हो नसीब होती है.वे गुजरात के छोटे से शहर से अपने कारोबार की शुरूआत करते हुए पूरे विश्व में अपनी छाप छोड़ी है.