DESK-“ठाकुर का कुआं’ से शुरू हुआ सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है।सबसे ज्यादा बयानबाजी बिहार में हो रही है,क्योंकि कविता पढ़ने वाले से लेकर उसपर आपत्ति जताने वाले अधिकांश नेताओं का जुड़ाव बिहार से ही है.इस मुद्दे पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अपने राज्यसभा सांसद मनोज झा के साथ पूरी तरह से दिख रहे हैं और उनकी कविता पर सवाल उठाने वाले पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन और उनके बेटे चेतन आनंद की बुद्धि पर सवाल उठाते हुए नसीहत दी है।अब देखना है कि आनंद मोहन का अगला कदम क्या होता है।वे अब इस विवाद पर चुप्पी साध लेते हैं,या फिर आरजेडी के खिलाफ मोर्चा खोल कुछ नया कदम उठाते हैं,फिलहाल बीजेपी इस मुद्दे को ठंढ़ा नहीं होने देना चाहती है.बीजेपी के नेताओं मनोज झा पर पुलिसिया कार्रवाई के लिए पटना एसएसपी को आवेदन दिया है।
जेडीयू के अलग-अलग विचार
जबकि जेडीयू नेताओं के बयान में भिन्नता है।पार्टी अध्यक्ष ललन सिंह पूरी तरह से आरजेडी के स्टैंड के साथ हैं तो संजय झा नसीहत देते नजर आ रहे हैं.इससे ये लग रहा है कि जेडीयू में भी खेमेबाजी है।बीजेपी नेता भी ललन सिंह पर आरजेडी के लिए काम करने का आरोप लगा रहे हैं।
अक्ल पर उठाए सवाल
बताते चले कि गुरुवार के बाद शुक्रवार को भी लालू यादव ने दो टूक अंदाज में मनोज झा का बचाव करते हुए आनंद मोहन को झिड़की लगाई है। मीडिया ने जब उनसे सवाल पूछा कि आनंद मोहन कह रहे हैं कि ठाकुर को लेकर मनोज झा द्वारा पढ़ी गई कविता से राजपूत समाज का अपमान हुआ है। इस पर लालू प्रसाद ने कहा, “ऐसी कोई बात नहीं है। जिसको जितना अक्ल होगा उतना ही न बोलेगा। वह (आनंद मोहन) अपना अक्ल और शक्ल देखें।” वहीं अपनी ही पार्टी के विधायक चेतन आनंद द्वारा मनोज झा के विरोध पर लालू प्रसाद ने कहा कि उसको उतना ही अक्ल है।लालू ने जो कहा- मनोज झा विद्वान आदमी हैं।
बताते चलें कि लालू यादव ने
गुरुवार शाम को कहा था कि मनोज झा विद्वान आदमी हैं। सही बात वो बोले हैं। किसी ठाकुर या राजपूत के खिलाफ उन्होंने कुछ नहीं बोला हैं। लालू ने जो कहा- मनोज झा विद्वान आदमी हैं। सही बात को बोलते हैं। कोई राजपूतों के खिलाफ उन्होंने नहीं कहा है। जो सज्जन (आनंद मोहन सिंह) यह रिएक्शन दे रहे हैं, वह अपनी जाति में जातिवाद के लिए प्रसिद्ध आदमी हैं। उनको परहेज करना चाहिए।
बयान के एक सप्ताह बाद विवाद
गौरतलब है कि आनंद मोहन और उनके बहुत बेटे चेतन आनंद ने मनोज झा के राज्यसभा में पढ़े गये ‘ठाकुर का कुआं ‘ कविता के एक सप्ताह के बाद विरोध करना शुरु किया है।इस संबंध में कई तरह की राजनीतिक कयास लगाए जा रहें है।कुछ लोग कह रहे हैं कि आनंद मोहन ने दिल्ली में बीजेपी नेताओं से मुलाकात की है,जिसके बाद से आरजेडी नेतृत्व उनसे खफा है।आनंद मोहन लालू से मिलना चाह रहे थे,पर उन्हें समय नहीं दिया गया।उसके बाद आनंद मोहन और उनके विधायक बेटे ने ठाकुर का कुआं कविता के बहाने मनोज झा पर निशाना साधा।चूंकी मनोज झा लालू-तेजस्वी के करीब माने जाते हैं.इसलिए आरजेडी अब आनंद मोहन और उसके परिवार की कोई बात सुनना नहीं चाहता है।
जेल से रिहा कराने में आरजेडी की भूमिका
बतातें चलें कि आनंद मोहन को जेल से बाहर निकलवाने में आरजेडी की अहम भूमिका है।जबतक बीजेपी के साथ नीतीश कुमार की सरकार रही,तबतक आनंद मोहन की रिहाई को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया था.यही वजह है कि उनकी रिहाई के लिए बिहार की नीतीश सरकार ने कानून में जब बदलाव किए तो बीजेपी ने निशाना साधा था।वहीं गोपालगंज के पूर्व डीएम जी.कृष्णैया के परिवार ने भी नीतीश सरकार के खिलाफ नराजगी जाहिर की थी और बिहार सरकार द्वारा कानून में किए गए बदलाव को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है,क्योंकि जी.कृष्णैया हत्याकांड मे ही आनंद मोहन आजीवन कारावास की सजा सहरसा जेल में काट रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई
इस मामले की सुनवाई अभी सुप्रीम कोर्ट मे चल ही रही है।अगर इस मामले में बिहार सरकार थोड़ी ढ़ीली पड़ जाय तो आनंद मोहन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं और उन्हें फिर से जेल जाना पड़ सकता है।
वर्तमान हालात में आनंद मोहन को आरजेडी और महागठबंधन के खिलाफ जाना आसान नहीं लग रहा है,पर राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं होता है,अब देखना है कि आनंद मोहन इस विवाद को आगे बढ़ाते हैं,या फिर चुप्पी साध लेते हैं।