Desk- अपने मां-पिताजी के साथ मेले में चूड़ियां बेचने वाली संगीता अब कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बन गई है .उसकी इस कामयाबी से परिवार के साथ ही आसपास के लोग भी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं .असिस्टेंट प्रोफेसर का रिजल्ट आते ही संगीता का स्वागत एवं सम्मान परिवार के साथ इलाके के लोगों द्वारा किया गया अब संगीता के संघर्ष की चर्चा पूरे क्षेत्र में हो रही है .
संगीता ने असिस्टेंट प्रोफेसर बनकर यह साबित कर दिया कि मेहनत से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है.संगीता मंडी जिला के शिवाबदार गांव की रहने वाली है,और अब वह हिंदी विषय की असिस्टेंट प्रोफेसर बनी हैं. संघर्ष और सफलता की कहानी बताते हुए संगीता ने कहा कि
माता-पिता घर चलाने के लिए मेलों में चूड़ियां और खिलौने बेचा करते थे और मैं भी इस काम में उनका पूरा साथ देती थी. ग्रेजुएशन की पढ़ाई तक मेलों में चूड़ियां और खिलौने बेचने का काम किया. कभी इस काम को लेकर शर्म महसूस नहीं की. फिर शिमला चली गई.
उसका बचपन से ही प्रेस रिपोर्टर अथवा टीचर बनने का शौक था और उसने यह शौक पूरा किया है. अब वह कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हो गई है.
वहीं आर्थिक तंगी की वजह से पढ़ाई छोड़े जाने वाले छात्र-छात्राओं के लिए संगीता ने कहा की अगर मन में लगन हो तो आप संघर्ष के जरिए मुकाम को पा सकते हैं इसके लिए आपको धैर्य और रणनीति के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है.
वहीं संगीता की कामयाबी से पूरे परिवार में खुशी का माहौल है. पिता हरबंश लाल, माता सुरती देवी, भाई-बहन और सभी रिश्तेदारों ने इलाके में मिठाई बांट कर खुशी का इजहार किया.वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी संगीता को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं.