Desk- कड़क IAS अधिकारी माने जाने वाले शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक का आदेश मानने से कुछ शिक्षकों ने इंकार कर दिया है ..जिसके बाद विभाग में हड़कंप मचा है और संबंधित शिक्षकों को नोटिस जारी करते हुए तुरंत स्पष्टीकरण की मांग की गई है और तत्काल इनके वेतन पर रोक लगा दी गई है.
यह मामला राजधानी पटना से जुड़ा हुआ है और इस संबंध में पटना के डीएम चंद्रशेखर सिंह ने आदेश जारी करके इन सभी 25 शिक्षकों से स्पष्टीकरण की मांग करते हुए तत्काल वेतन पर रोक लगा दी है .
पूरे मामले की बात करें तो शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र जारी करके यह निर्देश दिया था कि जाति गणना हेतु डाटा एंट्री का काम शिक्षकों से स्कूल की अवधि के बाद लिया जाए. यही वजह है कि इन शिक्षकों की ड्यूटी स्कूल अवधि के बाद जाति गणना से जुड़े कार्यों के लिए लगाया गया था लेकिन पटना जिले के दनियावां प्रखंड के 25 शिक्षक एवं शिक्षिकाओं ने इस कार्य को करने से मना कर दिया जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है. इस कार्रवाई से शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ है.
पटना डीएम चन्द्रशेखर सिंह ने अपने आदेश में कहा है कि 16 अगस्त को जाति आधारित गणना काम के लिए पर्यवेक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम निर्धारित किया गया था. दनियावां के प्रखंड विकास पदाधिकारी सह इंचार्ज ने यह जानकारी दी कि प्रशिक्षण कार्यक्रम में 25 पर्यवेक्षक उपस्थित नहीं हुए. साथ ही फोन पर बातचीत में अनुपस्थित पर्यवेक्षकों ने बताया कि हम विद्यालय अवधि के बाद कार्य करने को बाध्य नहीं हैं. जबकि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव का स्पष्ट आदेश है कि विद्यालय अवधि के बाद ही प्रगणक या पर्यवेक्षक द्वारा जाति आधारित गणना का कार्य किया जाएगा.
डीएम ने आगे लिखा कि शिक्षकों का यह कृत्य अनुशासनहीनता एवं महत्वाकांक्षी कार्यक्रम में व्यवधान डालने की मंशा को दर्शाता है. इस आलोक में अनुपस्थित शिक्षकों को 24 घंटे के अंदर जिला शिक्षा पदाधिकारी के माध्यम से अपना स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया जाता है.इसके साथ ही स्पष्टीकरण स्वीकृत होने तक उक्त कर्मियों का वेतन मानदेय भुगतान स्थगित रखने का आदेश जिला शिक्षा पदाधिकारी को दिया है.
बताते चलें कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने पदभार संभालते ही स्कूल के शिक्षकों एवं अन्य कर्मियों के खिलाफ सख्ती शुरू कर दी थी और स्कूल से अनुपस्थित रहने एवं अन्य लापरवाही के आरोप में हजारों शिक्षकों पर वेतन कटौती समेत अन्य कार्रवाई कर चुके हैं। केके पाठक के इस सख्त रवैया के खिलाफ शिक्षक संघ ने सरकार से शिकायत की है पर इस शिकायत पर सरकार ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया है.