KK पाठक ने BIHAR के विवि को लेकर लिया एक और बड़ा फैसला, अब क्या करेगें VC..

abhishek raj

Patna – राजभवन के आदेश के बाद भी शिक्षा विभाग की बैठक में राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालय के कुलपति और अन्य पदाधिकारी के शामिल नहीं होने से नाराज अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने बड़ा कदम उठाया है. इससे आने वाले दिनों में विश्वविद्यालय के कुलपति एवं अन्य पदाधिकारी की मुश्किलें बढ़ सकती है.
दरअसल के के पाठक ने पटना विश्वविद्यालय को छोड़कर से सभी विश्वविद्यालय का ऑडिट कराने का निर्णय लिया है और इस निर्णय के आलोक में उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक ने सभी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को पत्र भेजा है और ऑडिट टीम को सहयोग करने की अपेक्षा की है.

मिली जानकारी के अनुसार ऑडिट करने के लिए शिक्षा विभाग के द्वारा विशेष आडिट टीम का गठन किया गया है यही टीम राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालय का दौरा करेगी और वहां वेतन भुगतान एवं विभिन्न सामग्रियों की खरीद बिक्री का ऑडिट करेगी. ऑडिट में गड़बड़ी पाए जाने पर संबंधित विश्वविद्यालय के पदाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है.

बताते चलें कि इस निर्णय के बाद शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय के पदाधिकारी के बीच का विवाद और बढ़ सकता है. राजभवन पहले ही शिक्षा विभाग द्वारा विश्वविद्यालय के कामकाज में दख़ल देने पर आपत्ति जताई थी. शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित बैठक में विश्वविद्यालय के पदाधिकारी को जाने पर रोक लगा दिया था. इसके बाद शिक्षा विभाग ने कई विश्वविद्यालय के कुलपति एवं अन्य पदाधिकारी के खिलाफ वेतन बंद कर दिया था और अकाउंट को फ्रीज करने का आदेश दिया था. इसकी शिकायत राजभवन में आयोजित बैठक में कुलपति एवं अन्य पदाधिकारियों ने की थी. इस बीच शिक्षा मंत्री सुनील कुमार की पहल पर राजभवन ने शिक्षा विभाग की बैठक में सभी विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कुलसचिव को शामिल होने की अनुमति दी थी. इसके बाद भी किसी भी विश्वविद्यालय के कोई भी पदाधिकारी शिक्षा विभाग की दो दिवसीय कार्यशाला में उपस्थित नहीं हुए थे जिसकी वजह से शिक्षा विभाग को उस कार्यशाला को स्थगित करना पड़ा था.

शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय पदाधिकारी के बीच चल रही तनातनी का अभी तक समाधान भी नहीं हो पाया है और शिक्षा विभाग ने अब एक और नया फैसला लिया है जिसमें पटना विश्वविद्यालय को छोड़कर राज्य के सभी विश्वविद्यालय का ऑडिट करने का निर्णय लिया है. अब देखना है कि शिक्षा विभाग के इस निर्णय को लेकर राजभवन की क्या प्रतिक्रिया होती है और विश्वविद्यालय के पदाधिकारी इस ऑडिट के कार्य में सहयोग करते हैं, या फिर पहले की तरह ही शिक्षा विभाग के इस आदेश की भी अनदेखी करते हैं. गौरतलाप है कि शिक्षा विभाग में इससे पहले भी कई विश्वविद्यालय के ऑडिट करने का फैसला लिया था जिसको लेकर कई तरह की चर्चाएं होने लगी थी.

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