चंद्रयान-3 की सफलता के बाद ISRO प्रमुख S.सोमनाथ सुर्खियों में,जानिए उनकी इनसाइड स्टोरी

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POSITIVE NEWS LIVE:- चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारतीय स्पेस एजेंसी सूरज को फतह करने के अभियान में जुट गई हैं और इसके लिए ADITYA-L1 मिशन पर काम किया जा रहा है।इसे 1 सितंबर को लॉन्च करने की तैयारी की जा रही है।इस बीच भारतीय अंतरिक्ष के लिए काम करने वाली एजेंसी इसरो(ISRO) के
चेयरमैन एस सोमनाथ की चर्चा हर तरफ हो रही है।उनके मिशन के प्रति लगन और मेहनत के साथ ही उनके सादगी भरी दिनचर्या की चर्चा हो रही है।उनका व्यक्तिगत जीवन भी लोगों को प्रेरित करने वाला है।कहा जाता है कि स्वभाव से बेहद ही सरल सोमनाथ आज भी अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं।

बचपन से चांद सूरज के प्रति आकर्षण
इसरो चेयरमेन एस सोमनाथ का पूरा नाम श्रीधर पणिक्कर सोमनाथ है। उनका जन्म केरल के अलापुझा जिले में हुआ था।उनके पिता वेदमपराम्बिल श्रीधर सोमनाथ हिन्दी भाषा के शिक्षक थे.इनकी माता थैंकम्मा गृहिणी थीं। उनकी शुरुआती शिक्षा स्थानीय स्कूल में हुई। सोमनाथ ने केरल के कोल्लम स्थित टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग और बेंगलुरु के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस (IISc) से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। वो यहां गोल्ड मेडलिस्ट रहे।

एक इंटरव्यू में सोमनाथ ने बताया था कि ‘जब मैं स्कूल में था स्पेस के प्रति बहुत आकर्षित था। सूरज, चांद और तारों को लेकर मेरी भी बहुत सी जिज्ञासाएं थीं। हिंदी टीचर होने के बावजूद पिता की साइंस में बहुत रुचि थी। वे एस्ट्रोनॉमी से जुड़ी किताबें लाकर मुझे देते थे। मैंने उस समय वो किताबें पढ़ीं।’उसके बाद स्पेश के प्रति काम करने की जिज्ञासा बढ़ी.
1985 में स्पेश सेंटर से जुड़े

एस सोमनाथ इंजीनियर की फाइनल ईयर के छात्र रहते विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर से 1985 में जुड़े। यह इसरो का प्रमुख केंद्र है जो लॉन्च व्हीकल के डिजाइन तैयार करता है। उस समय PSLV (पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) प्रोग्राम शुरू हो रहा था. उन्होंने लॉन्च व्हीकल सिस्टम इंजीनियरिंग, स्ट्रक्चरल डिजाइन, स्ट्रक्चरल डायनेमिक्स, मैकेनिज्म डिजाइन और पायरोटेक्नीक में विशेषज्ञता हासिल की है।वो देश के सबसे शक्तिशाली स्पेस रॉकेट GSLV एमके-3 लॉन्चर को डेवलप करने वाले वैज्ञानिकों की टीम की अगुआई कर चुके हैं। वे 2010 से 2014 तक सोमनाथ GSLV एमके-3 प्रोजेक्ट के निदेशक रहे। इस स्पेस क्राफ्ट से सैटलाइट लॉन्च की जाती है।2015 में वे लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर में डायरेक्टर बने जो कि लॉन्च व्हीकल और स्पेस कार्यक्रम के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने लगभग सभी महत्वपूर्ण परियोजनाओं जैसे चंद्रयान-1, चंद्रयान-2 और भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन- गगनयान के लिए काम किया है। 14 जनवरी 2022 से वे इसरो चीफ हैं।2022 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था.2014 में परफॉर्मेंस एक्सिलेंस अवार्ड और टीम एक्सिलेंस अवार्ड मिल चुका है।एस्ट्रोनॉटिकल सोसायटी ऑफ इंडिया उन्हें ‘स्पेस गोल्ड मेडल’ से सम्मानित कर चुकी है।पीएम मोदी भी कई बार एस.सोमनाथ की सार्वजनिक मंच से तारीफ कर चुके हैं।

 

वेदों का किया है अध्ययन
सिनेमा में गहरी दिलचस्पी रखने वाले इसरो चेयरमेन एस सोमनाथ आधुनिक स्पेश टेक्नोलॉजी के साथ ही वेदों की भी पढ़ाई की है. एक कार्यक्रम में उन्होंने खुद कहा था कि अलजेबरा, समय के सिद्धांत, आर्किटेक्चर और यहां तक कि अंतरिक्ष विज्ञान के सिद्धांत भी वेदों से मिले थे।सोमनाथ उज्जैन की महर्षि पाणिनी संस्कृत और वैदिक यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए थे। वहां उन्होंने कहा था संस्कृत भाषा वैज्ञानिक विचारों को आगे बढ़ाने में इस्तेमाल की जाती थी। कंप्यूटर की भाषा भी संस्कृत है। जो लोग कंप्यूटर और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) सीखना चाहते हैं, उनके लिए संस्कृत काफी फायदेमंद हो सकती है।

समय के पाबंद
एस सोमनाथ समय के बड़े पाबंद हैं।लेटलटीफी उन्हें पसंद नही है।उनके बारे में एपीजे अब्दुल कलाम टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के प्रो वाइस चांसलर और सोमनाथ के जूनियर डॉ. एस अयूब बताते हैं कि उनकी याद भी एस.सोमनाथ किसी भी मीटिंग में आज तक देरी से नहीं पहुंचे हैं।वे दिखावा के बजाय सादगी पसंद इंसान है।जूनियर के प्रति उनका व्यवहार उत्साह बढ़ाने वाला होता है।उन्हौने कई बार अवार्ड में मिली राशी को दान कर दिया है।

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