कुलाधिपति और ACS केके पाठक का टकराव,उच्च शिक्षा का बंटाधार,मूकदर्शक बनी नीतीश सरकार

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patna:-बिहार में महागठबंधन की सरकार बने महीनों हो गए हैं.शिक्षा विभाग के मंत्री बदल गए हैं.बिहार के सीएम नीतीश कुमार और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव शिक्षा विभाग की तकदीर और तस्वीर बदलने का दावा कर रहे हैं.ये तस्वीर स्कूलों में थोड़ी बहुत दिख भी रही है,पर उच्च शिक्षा के केन्द्र महाविद्यालय और विश्वविद्यालयों की स्थिति बेहतर होने के बजाय बद से बदतक हो रही है.सत्र के विलंब से लेकर पढ़ाई और परीक्षा को लेकर अव्यवस्था बनी हुई है और राज्यापल सह कुलाधपति एवं शिक्षा विभाग के एसीएस अपने-अपने अधिकार को लेकर पावर गेम खेल रहें हैं.इस पावर गेम में सभी विवि के कुलपति,प्रतिकुलपति.कुलसचिव समेत अन्य पदाधिकारी भी परेशान हैं,क्योंकि कभी उनका वेतन बंद हो रहा है तो कभी उनके खिलाफ थाना में एफआईआर दर्ज हो रहा है.उनके लिए एक तरह कुंआ दूसरे तरफ खाई वाली स्थिति उत्पन्न हो गई है.

मिली जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग की बैठक में शामिल नहीं होने की वजह से राज्य के सभी विवि के कुलपति,प्रतिकपुलपति,कुलसचिव समेत अन्य पदाधिकारियों का वेतन बंद करने का निर्देश acs केके पाठक ने दिया है.पिछले 20 दिन में चौथी दफा शिक्षा विभाग ने इस तरह का कदम उठाया है.शिक्षा विभाग द्वारा इस तरह की कार्रवाई 28 फरवरी और 9 मार्च को भी की गयी थी जब शिक्षा विभाग के द्वारा बुलाई बैठक में विवि के अधिकारी शामिल नहीं हुए थे.गौरतलब है कि उच्च शिक्षा विभाग के सुप्रीमो राज्य के राज्यपाल कुलाधिपति के रूप में होतें हैं और शिक्षा विभाग द्वारा उनकी अनुमति के बिना किसी तरह की बैठक को अवैध मानते हुए क्षेत्राधिकार का अतक्रिमण समझती हैं.इसलिए जब-जब शिक्षा विभाग के एसीएस कुलपतियों और कुलसचिवों की बैठक बुलातें है तो कुलाधिपति विशेष आदेश निकालकर बैठक में शामिल होने से मना कर देतें हैं.राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच चल रहे इस टकराव को खत्म करने की कोशिश कई दफे हुई है.हाल ही में 8 मार्च को राजभवन में डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी,शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ,एसीएस केके पाठक की बैठक हुई थी,जिसमें समाधान की कोशिश की गयी थी.राजभवन ने शिक्षा विभाग को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करने को कहा था,और सभी कुलपतियों एवं कुलसचिवों के खिलाफ एफआईआर के लिए दिए गए आवेदन को वापस लेने को कहा था,पर केके पाठक द्वारा इस निर्देश का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया था.इसको लेकर राजभवन से केके पाठक से जवाब तलब किया गया था.वहीं एक बार फिर से शिक्षा विभाग द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं होने पर केके पाठक ने विवि के कुलपति समेत अन्य पदाधिकारियों के वेतन पर रोक लगा दी गयी है.

बताते चलें कि केके पाठक की कार्यशैली से महागठबंधन सरकार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चन्द्रशेखर भी परेशान थे.वर्तमान एनडीए की सरकार के शिक्षा मंत्री भी परेशानी महसूस कर रहे हैं पर वे सार्वजनिक रूप से बोल नहीं रहे हैं.केके पाठक ने केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए बिहार सरकार को आवेदन दिया था,जिसे मंजूर कर लिया गया है,पर अभी तक केके पाठक केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए विरमित नहीं हुए हैं और अपनी कार्यशैली के अनुसार ही काम कर रहे हैं,पर उनकी कार्यशैली और राजभवन की जिद की वजह से राज्य का उच्च शिक्षा विभाग गर्त में जा रहा है.राज्य के अलग अलग विवि के छात्र-छात्रा आये दिन प्रदर्शन औ आन्दोलन  कर रहे हैं,पर नीतीश सरकार मूकदर्शक बनी हुई है.

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