Positivenewslive Desk- लोकसभा चुनाव से पहले बिहार की राजनीति में जबरदस्त बदलाव हो रहा है. पूर्व सीएम जीतनराम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा एवं आरसीपी सिंह जैसे नेता नीतीश कुमार और जेडीयू का साथ छोड़कर बीजेपी के खेमे में जा चुके हैं. वहीं 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद जेडीयू के इशारे पर भतीजे को गच्चा देकर केंद्र में मंत्री बने चाचा पशुपति कुमार पारस की मुश्किलें बढ़ती जा रही है और अब बीजेपी ने चाचा पशुपति कुमार पारस की जगह उनके भतीजे चिराग पासवान को तवज्जो देना शुरू कर दिया है, और ऐसी चर्चा है कि चाचा का मंत्री पद से भी पत्ता साफ होगा और भतीजे चिराग पासवान संभावित कैबिनेट विस्तार में मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं.
बताते चलें कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पहल पर विपक्षी दलों को एक मंच पर आने की तस्वीर साफ होते ही बीजेपी ने भी अपना कुनबा बढ़ाना शुरू कर दिया है और इस कड़ी में अलग-थलग पड़े चिराग पासवान को अपने साथ लिया है .चिराग पासवान से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कई दौर की बात की और आज चिराग पासवान की मुलाकात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से हुई है. इस मुलाकात की तस्वीर खुद चिराग पासवान ने अपने टि्वटर हैंडल से शेयर की है.
सूत्रों की माने तो बीजेपी ने चिराग पासवान की मांग को पूरा करने का आश्वासन दिया है जिसमें उनके हाजीपुर सीट लड़ने का भी मामला है अगर बीजेपी चिराग पासवान को हाजीपुर से चुनाव लड़ने की सहमति देती है तो फिर उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को अपने दावे से पीछे हटना होगा. ऐसी चर्चा है कि इस मीटिंग में यह भी क्लियर हो गया है कि लोकसभा 2024 के चुनाव में चिराग पासवान के गुट को ही बीजेपी असली लोजपा के रूप में मान्यता देते हुए ज्यादातर सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति देगी और चाचा पशुपति कुमार पारस के गुट को मात्र 1 सीट देने की तैयारी कर रही है क्योंकि बीजेपी के समझाने के बाद भी चाचा पशुपति कुमार पारस अपने भतीजे चिराग पासवान के साथ समझौता करने के लिए राजी नहीं हो पाए.
गौरतलब है कि 17 और 18 जुलाई को विपक्षी नेताओं की बैठक बेंगलुरु में हो रही है जबकि 18 जुलाई को ही बीजेपी एनडीए की बैठक दिल्ली में कर रही है जिसमें खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ दो दर्जन से ज्यादा राजनीतिक दलों के नेता शामिल होंगे और इस बैठक से ठीक पहले अमित शाह और चिराग पासवान के बीच हुई अहम बैठक यह बताती है कि चिराग पासवान के अच्छे दिन आने वाले हैं और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस की मुश्किलें बढ़ने वाली है, क्योंकि जेडीयू और नीतीश कुमार के दबाव में ही बीजेपी ने पशुपति कुमार पारस को मोदी सरकार में मंत्री बनाया था अब जबकि नीतीश कुमार और जेडीयू ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया है तो अब बीजेपी भी पशुपति कुमार पारस को ज्यादा भाव देने के मूड में नहीं दिखती है. क्योंकि बीजेपी को लगता है कि स्वर्गीय रामविलास पासवान का वोट बैंक चिराग पासवान के साथ ज्यादा दिख रहा है जिसका लाभ उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव में मिल सकता है.