Desk:-महाशिवरत्री के अवसर पर शिव मंदिर समेत अन्य ध्रार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी हुई है..महिलाओं एवं कुंवारी कन्यायें भगवान भोले की पूजा अराधना कर रही है.इस दौरान मंदिरों को विशेष इंतजाम किए गये हैं.बड़े -बड़े मंदिरों में साज सज्जा के साथ ही सुरक्षा के विशेष इंतजाम किये गए हैं.महानगर से लेकर छोटे शहरों तक में शिव की बारात निकाली जा रही है और पूरा माहौल भक्तिमय लग रहा है.हलांकि शरारती तत्व इस माहौल को खराब करने की साजिश करने की फिराक में हैं..पर सरकार और प्रशासन पूरी मुश्तैदी के किसी भी साजिश को नाकाम करने को तैयार हैं.
बताते चलें कि महाशिवरात्री को लेकर कई तरह का मान्यताये प्रचलित हैं जिसका पालन करते हुए हिन्दू धर्मावलंबी इस त्योहार को मनातें हैं.वहीं कई जगह अन्य धर्म के लोग भी इस त्योहार में शिव की बारात एवं शोभा यात्रा के दौरान शरीक होतें हैं.हिन्दू धर्म की महिलाये उपवास रखती है और शिव मंदिरों में विशेष रूप से पुजा अराधना करती हैं.भगवान शिव की पूजा आराधना वार्षिक उत्सव के रूप में महाशिवरात्रि के रूप में मनाई जाती है।एक मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव ने खुद बिष पीकर पूरी सृष्टि को हलाहल विष से बचाया था।जब सृष्टि हलाहल विष से सुरक्षित हो गई तब भगवान शिव ने सुंदर नृत्य किया था। भगवान शिव को त्रिलोक का स्वामी माना जाता है। पूरी सृष्टि के संहारकर्त्ता के रूप में उनकी प्रसिद्ध है। भगवान शिव की पूजा आराधना विधि विधान से करने तथा व्रत धारण करने पर भक्तों की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है.इस दिन भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों को मनचाहा वरदान देते हैं।
यदि महाशिवरात्री की रात में उत्सव मनाने को लेकर वैज्ञानिक महत्व की बात करें, तो इस रात, ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार अवस्थित होता है कि मनुष्य के भीतर ऊर्जा का प्राकृतिक रूप से ऊपर की और जाती है। यह एक ऐसा दिन है, जब प्रकृति मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद करती है। शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा आराधना करने हेतु व्यक्ति को ऊर्जा कुंज के साथ सीधे बैठना पड़ता है। जिससे रीड की हड्डी मजबूत होती है और व्यक्ति एक सुपर नेचर पावर का एहसास महसूस करते हैं.इसका फाईदा उन्हें कई रूपों में मिलता है.