चौतरफा घिरे ACS के के पाठक: शिक्षक,शिक्षामंत्री और कुलाधिपति के बाद BPSC चेयरमेन ने आलोचना की
शिक्षक भर्ती परीक्षा में सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन में शिक्षकों से ड्यूटी लेने के मुद्दे पर अतुल प्रसाद ने साधा निशाना
PATNA:- बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक पर चौतरफा हमला शुरू हो गया है. शिक्षा मंत्री और शिक्षकों के बाद राज्यपाल सह कुलाधिपति उनकी सार्वजनिक रुप से आलोचना कर चुके हैं अब एक दूसरे आईएएस अधिकारी ने भी के के पाठक के कार्यशैली की आलोचना की है.
बिहार कैडर के रिटायर आईएएस अधिकारी और बिहार लोक सेवा आयोग(BPSC) के अध्यक्ष अतुल प्रसाद ने केके पाठक पर निशाना साधा है.अतुल प्रसाद ने केके पाठक का नाम लिए बिना उस आदेश की आलोचना की है जिसमें शिक्षक भर्ती परीक्षा के अभ्यर्थियों के कागजात की जांच से शिक्षकों का हटाने के लिए बीपीएसी को चिट्ठी लिखी गयी थी।इस चिट्ठी में बिना मेधा सूची के ही सभी अभ्यर्थियों के कागजात की जांच करने की प्रक्रिया को फालतू और गैर जरूरी बताया गया था.
बीपीएससी अध्यक्ष अतुल प्रसाद ने सोसल मीडिया X पर एक पोस्ट किया है जिसमें लिखा है कि ” सरकार अपने अधिकारियों की नियुक्ति करती है और बाद में बदलाव करती है। इससे हमें कोई सरोकार नहीं है. लेकिन इस बहाने जिन तत्वों ने हमारे टीआरई-डीवी को रद्द कराने की कोशिश की, उन्हें और अधिक प्रयास करना चाहिए।”
बताते चलें कि बिहार में इस समय 1.70 लाख शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है और यह भर्ती प्रक्रिया बीपीएससी द्वारा आयोजित की जा रही है। 24 से 26 अगस्त तक हुई परीक्षा के बाद 9वीं से 12 तक के अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट की जांच की जा रही है.इसमे शिक्षकों से काम लिया जा रहा है.
इसको लेकर केके पाठक के निर्देश पर शिक्षा विभाग के अधिकारी ने बीपीएससी को पत्र लिखकर शिक्षकों की सेवा नहीं लेने को कहा था और उनकी प्रतिनियुक्ति खत्म करने को कहा था,बाद में मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने भी जिलाधिकरियों को पत्र लिखा था.अब इस मुद्दे पर अतुल प्रसाद ने केके पाठक के रवैये की परोक्ष रूप से आलोचना की है.
बताते चलें कि केके पाठक सख्त मिजाज के अधिकारी माने जाते हैं और अलग तरह के फैसले लेते हैं उनके कई फैसले जनहित में होते हैं जिसको लेकर जनता उत्साहित होती है और वाह वाह करती है इसके साथ ही हुए वे इस तरह का फैसला लेते हैं जिस पर विवाद भी होता है. हाल के दिनों में सीएम नीतीश कुमार को खुद इनके फैसले को वापस लेने का निर्देश देना पड़ा था. उसमें बिहार में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर शिक्षा विभाग द्वारा निकाले गए विज्ञापन और सरकारी स्कूल के छुट्टियां को कम करने के आदेश हैं.
अब के के पाठक के कार्यशैली की खिलाफत बीपीएससी के अध्यक्ष ने भी की है तो मामला ज्यादा गंभीर होता हुआ नजर आ रहा है और ऐसा लगता है कि केके पाठक अगर इसी तरह से मनमाने तरीके से आदेश निकालते रहे तो फिर सरकार की मुश्किलें बढ़ जाएगी क्योंकि विपक्षी भाजपा पहले से ही हमलावर है.
सुशील मोदी ने पहले ही कहा है कि अगर नीतीश कुमार ज्यादा दिन तक केके पाठक को शिक्षा विभाग में रखेंगे तो उनकी ज्यादा किरकिरी होगी .इसलिए यह जरूरी है कि वे केके पाठक को यहां से हटा दें. सुशील मोदी ने के के पाठक से भी आग्रह किया था कि सरकार और उनकी ज्यादा किरकिरी ना हो इसके लिए वे खुद शिक्षा विभाग से हटने के लिए आवेदन दें.
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