Gaya :- 1960 से लेकर 1982 तक छेनी और हथौड़ी से 22 साल तक अथक परिश्रम से पहाड़ काट कर रास्ता बनाने वाले पर्वत पुरुष दशरथ मांझी का 2007 में निधन हो गया था. उनके निधन के करीब 18 साल बाद भारत की सेना ने 5 लाख की आर्थिक सहायता देकर उनके परिवार को सम्मानित किया है. इससे पहले दशरथ मांझी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी कुर्सी पर बैठा कर सम्मान दिया था, और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी एवं उनकी पार्टी दशरथ मांझी के लिए भारत रत्न की मांग कर रही है.

बताते चलें कि दशरथ मांझी के परिवार को सम्मानित करने के लिए सेना के अधिकारी गया के मोहरा प्रखंड के गेहलौर घाटी पहुंचे और ‘माउंटेन मैन’ दशरथ मांझी के अभूतपूर्व योगदान को नमन किया।सेना के केंद्रीय कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता (PVSM, UYSM, AVSM, YSM) ने कहा कि ‘भारतीय सेना सिर्फ सीमाओं पर सुरक्षा नहीं करती, बल्कि समाज के विकास में भी योगदान देती है। यह पहल विकसित भारत’ के लक्ष्य को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है। भारतीय सेना सिर्फ युद्ध के मैदान में नहीं, बल्कि समाज के हर मोर्चे पर मजबूती से खड़ी है। दशरथ मांझी जैसे कर्मयोगियों को सम्मानित कर सेना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह न केवल देश की सुरक्षा की गारंटी है, बल्कि समाज के उत्थान में भी उसकी भूमिका अहम है। यह सम्मान दशरथ मांझी के उस जज्बे को सलाम है, जिसने अकेले पहाड़ काटकर गांव के लिए रास्ता बनाया। अब भारतीय सेना उनके अधूरे सपनों को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।सेना ने उनकी याद में उनके बेटे भगीरथ मांझी को 5 लाख रुपए का चेक सौंपा। यह सहायता भारतीय सेना के राष्ट्र निर्माण और सामुदायिक कल्याण के संकल्प का हिस्सा है।

दशरथ मांझी की विरासत को आगे बढ़ाने की प्रेरणा और पिता के सम्मान में सेना की इस पहल पर भगीरथ मांझी ने आभार जताया। उन्होंने कहा, पिता जी ने पहाड़ काटकर रास्ता बनाया और अब सेना हमारे गांव के विकास का मार्ग खोल रही है। यह सामूहिक प्रयास ही हमारे समाज की असली ताकत है।