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36 का संबंध रखने वाले शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चन्द्रशेखर और ACS केके पाठक एक साथ काम निपटाते दिखे..

सीएम नीतीश कुमार ने शिक्षा मंत्री और अपर मुख्य सचिव को कई बार समझाया है.

PATNA– ऐसा लगता है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार के निर्देश का असर शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर और विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक पर होने लगा है. एक दूसरे से 36 का आंकड़ा रखने वाले मंत्री और अधिकारी अब अगल-बगल की कुर्सी पर बैठने लगे हैं .इसका नजारा मुख्यमंत्री आवास में आयोजित सीएम नीतीश कुमार की जनता दरबार में दिखा जहां शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर और अपर मुख्य सचिव के के पाठक अगल-बगल की कुर्सी पर बैठे दिखे.

सीएम के जनता दरबार म़े साथ बैठे

इस दौरान शिक्षा विभाग से संबंधित आवेदक को सीएम नीतीश कुमार संबंधित मंत्री और विभागीय अधिकारी के पास भेज रहे थे और संबंधित शिकायतकर्ता शिक्षा विभाग के मंत्री और अधिकारी के समक्ष अपनी फरियाद रख रहा था इस दौरान यह जरूर दिखा कि शिक्षा मंत्री सिर्फ औपचारिक रूप से वहां बैठे थे और शिकायतकर्ता सीधे अपर मुख्य सचिव के के पाठक से ही अपनी बात रख रहा था और केके पाठक अपने कनिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दे रहे थे.

कड़क IAS माने जाते हैं केके पाठक

बताते चलें की सख्त स्वभाव के माने जाने वाले आईएएस के के पाठक जिस भी विभाग में रहते हैं वहां उनके मंत्रियों से संबंध बेहतर नहीं के बराबर रहता हैं. यही वजह है कि जब उनका तबादला मद्य एवं निषेध विभाग से शिक्षा विभाग किया गया तो उन्होंने एक जुलाई 2023 से सभी स्कूलों के निरीक्षण का काम शुरू किया और ताबड़तोड़ आदेश निकालने लगे इस आदेश से शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर और असहज दिखे और अपने आप्त सचिव के जरिए अपर मुख्य सचिव के के पाठक को पीत पत्र भिजवाया था जिसके बाद से दोनों के बीच विवाद काफी बढ़ गया और केके पाठक ने गुस्से में मंत्री के आप्त सचिव को विभाग में घुसने से ही रोकने का आदेश जारी कर दिया.

शित्रा मंत्री ने दफ्तर जाना छोड़ दिया था

केके पाठक के इस आदेश के बाद शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर नाराज होकर अपने दफ्तर जाना छोड़ दिए. इस बीच में शिक्षामंत्री लालू प्रसाद यादव से मिले और अपनी परेशानी बताई जिसके बाद लालू प्रसाद यादव ने सीएम नीतीश कुमार को फोन करके प्रोफेसर चंद्रशेखर की बात सुनने का आग्रह किया इसके बाद सीएम नीतीश कुमार मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर और अपर मुख्य सचिव के के पाठक से एक साथ मुलाकात की,नीतीश कुमार ने केके पाठक के कदम को सही ठहराया जिससे प्रोफेसर चंद्रशेखर नाराज हो गए और करीब 25 दिनों तक अपने कार्यालय नहीं गए. इस बीच विदेश दौरे से लौटे तेजस्वी यादव के साथ प्रोफेसर चंद्रशेखर की बातचीत हुई और उसके बाद प्रोफेसर चंद्रशेखर दफ्तर जाने लगे लेकिन अपने अधिकारी पाठक से 36 का आंकड़ा बना रहा. शिक्षा मंत्री की नाराजगी के बावजूद के के पाठक लगातार आदेश निकालते रहे. इस बीच उनका बीपीएससी के अध्यक्ष अतुल प्रसाद से भी भिड़ंत हुआ.

केके पाठक ने मंच साझा नहीं किया था

वहीं 5 सितंबर शिक्षक दिवस के दिन के के पाठक ने शिक्षा मंत्री के साथ मंच साझा करने से मना कर दिया और उस कार्यक्रम में नहीं पहुंचे जिसकी अध्यक्षता के के पाठक को खुद करनी थी और उसके मुख्य अतिथि शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर थे. इस कार्यक्रम में प्रोफेसर चंद्रशेखर शामिल हुए और परोक्ष रूप से केके पाठक पर निशाना साधा था.

कुलाधिपति ने भी सुनाई थी खड़ी-खोटी

वहीं उसी दिन एक कार्यक्रम में राज्यपाल सह कुलाधिपति ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष ही केके पाठक पर ताबड़तोड़ हमले किए और अनुशासनहीन अधिकारी बताया. उस समय नीतीश कुमार कुछ असहज से दिखे.

शिक्षक दिवस के बाद शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने राज्यपाल से अलग मुलाकात की और उसके बाद सीएम नीतीश कुमार से.फिर सीएम नीतीश ने शिक्षा मंत्री और अपर मुख्य सचिव के पाठक से अलग-अलग मुलाकात हुई और इस मुलाकात में शायद सीएम नीतीश कुमार ने दोनों को एक साथ मिलकर काम करने की नसीहत दी. इसका असर सोमवार को मुख्यमंत्री के जनता दरबार के दौरान दिखा जहां शिक्षा मंत्री और अपर मुख्य सचिव अगल-बगल की कुर्सी फर बैठे दिखे. देखना है कि दोनों के बीच 36 का जो संबंध है वह आगे सहज हो पता है या फिर यह एक साथ बैठना सिर्फ दिखावटी रह जाता है.

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