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CBI और ED के चक्रव्यूह में तेजस्वी.. एजेंसी की सख्ती का होगा राजनीतिक असर !

2017 में जांच एजेंसी की छापेमारी के बाद ही नीतीश कुमार ने बदला था पाला..

patna:-ऐला लगता है कि CBI और ED की छापेमारी के बाद बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर चौतरफा शिकंजा कसने को कोशिश की जा रही है…लालू राबड़ी एवं उनके बेटियों से पुछताछ के बाद तेजस्वी यादव को सीबीआई ने समन भेजा था ,पर तेजस्वी यादव ने पत्नी के स्वास्थ्य का हवाला देते हुए सीबीआई से समय मांगा है..सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कल ईडी की पूछताछ में तेजस्वी का पत्नी बेहोश हो गयी थी और फिर उसे अस्पताल मे भर्ती कराया गया था,लेकिन आज न कल उन्हे एजेंसी के समक्ष पेश होना ही पड़ेगा,और उस दौरान एजेंसी उनके साथ सख्ती कर सकती है.

 

वहीं Land for Job Scam में सीबीआई और ईडी की कार्रवाई से आरजेडी के साथ ही जेडीयू ने भी बीजेपी और जांच एजेंसी पर हमला बोहाल है.बिहार के सीएम नीतीश कुमार से जब इस कार्रवाई को लेकर सवाल पूछा गया को उन्हौने कहा कि..वे इस पर बोल सकतें हैं..5 साल पहले भी इस मामले में सीबीआई में छापेमारी की थी.उसके बाद हम अलग होकर बीजेपी के साथ चले गए थे.इस बीच सीबीआई की जांच ठप हो गई..अब जबकि अगस्त माह में फिर से हम महागठबंधन के साथ आये हैं तो जांच एजेंसी की कार्रवाई तेज हो गई है.
वहीं जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी सीबीआई और केन्द्र सरकार पर निशाना साधा है.ललनने ट्वीट करके लिखा है कि “नौकरी के बदले जमीन मामले में सीबीआई दो बार जांच कर साक्ष्य नहीं जुटा पाई, लेकिन 9 अगस्त 2022 के बाद अचानक दिव्यशक्ति से उनको साक्ष्य मिलने लग गया और लालू प्रसाद यादव एवं उनके परिजनों के यहां भारी छापेमारी हुई, खोदा पहाड़ निकली चुहिया.”

ललन सिंह ने आगे लिखा, “अरे भाई…! साक्ष्य नहीं भी मिलता तो साक्ष्य दिखाने के लिए पालतू तोते कुछ भी कर सकते हैं. गाय का सींग भैंस में और भैंस का सींग गाय में जोड़ रहे हैं. ‘एके इंफोसिस्टम के कारण छापा डाला गया है’… जिसका नौकरी से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन खैर पालतू तोते अपने मालिक का निर्देश पाकर कुछ भी कर सकते हैं, अघोषित आपातकाल जो है. गर्भवती महिला और छोटे-छोटे बच्चों के साथ इस तरह का निर्मम आचरण देश में पहली बार हुआ है. देश इसको याद रखेगा. दमन चाहे जितना कर लें, 2024 में देश भाजपा मुक्त होगा.”

राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने आरोप लगाया कि विपक्षी नेताओं के खिलाफ छापेमारी में केंद्रीय एजेंसियां सीबीआई और ईडी ‘‘किसी और की पटकथा’’ का अनुसरण कर रही हैं. उनकी पार्टी के नेताओं के खिलाफ ‘‘छापे’’ बिहार में पिछले साल अगस्त में सरकार बदलने की ‘‘प्रतिक्रिया’’ हैं.

बताते चलें कि शुक्रवार को पटना,दिल्ली,मुंबई,रांची समेत करीब 25 ठिकानों पर हुई ईडी की रेड हुई थी.यह रेड पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) की तीन पुत्रियोंसपूर्व विधायक अबू दौजाना के कई ठिकानों पर हुई थी.सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार छापों के दौरान 53 लाख रुपये नगद, 1900 अमेरिकी डॉलर, करीब 540 ग्राम स्वर्ण और सोने के 1.5 किलोग्राम जेवरात को जब्त किया गया है. दक्षिण दिल्ली के एक घर में की भी तलाशी ली गई थी बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव मौजूद थे.

ईडी और सीबीआई की यह कार्रवाई जमीन के बदले नौकरी घोटला को लेकर की जा रही है.आरपो है कि जब लालू प्रसाद मनमनोहन सिंह की सरकार में 2004-2009 के बीच रेल मंत्री थे और उसकी दौरान भारतीय रेलवे के विभिन्न ज़ोन में समूह डी में कई व्यक्तियों को नियुक्त किया गया था और इसके बदले में उन्होंने अपनी ज़मीन तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों और एके इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को स्थानांतरित की थी.अधिकारियों ने कहा कि रागिनी यादव और चंदा यादव एके इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड में पूर्व निदेशक थी, जिसे कथित तौर पर एक अभ्यर्थी से भूखंड मिला था.इसके साथ ही लालू प्रसाद की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी समेत उनके परिवार ने अवैध रूप से अधिग्रहीत ऐसे चार भूखंडों को मेरिडियन कंस्ट्रक्शन इंडिया लिमिटेड नामक कंपनी को 7.5 लाख रुपये की कीमत पर बेच दिया जबकि भूखंडों का बाजार रुपये साढ़े तीन करोड़ रुपये था. इस कंपनी की मिल्कियत और नियंत्रण कथित रूप से दोजाना के पास था.

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