गुजरात सरकार और हाईकोर्ट को सुप्रीम कोर्ट से झटका, राहुल गांधी को सजा सुनाने वाले जज के साथ 68 जजों के प्रमोशन पर लगाई रोक

Desk
By Desk

Desk-देश की सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से गुजरात हाईकोर्ट और वहां की राज्य सरकार को झटका लगा है।सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के 68 जजों के प्रमोशन पर अंतरिम रोक लगा दी है। इन 68 जजों की सूची में जज हरीश वर्मा और जयेश एल चोवटिया का भी नाम शामिल है।हरीश वर्मा कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मानहानि केस में सजा सुनाने के बाद सुर्खियों में आये थे,वही जज जयेश एल चोवटिया ने मानहानि के ही केस में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और आप सांसद संजय सिंह को नोटिस भेजा था.

सुप्रीम कोर्ट ने जजों के प्रमोशन पर रोक लगाते हुए सख्त टिप्पणी की है।सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस सीटी रवि कुमार ने अपने फैसले में कहा है कि राज्य सरकार ने याचिका के लंबित रहने दौरान जजों के ट्रांसफर को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया। इसके बाद अदालत ने नोटिस जारी की। हम हाई कोर्ट की प्रमोशन की सिफारिश और सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है जजाें का पदोन्नति मेरिट और सीनियोरिटी के सिद्वांत के साथ परीक्षा को पास करने पर होनी चाहिए। जस्टिस शाह ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट और सरकार का नोटिफिकेशन गलत हैं। सुप्रीम कोर्ट के जजों ने कहा यह अंतरिम आदेश है। जस्टिस शाह 15 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में मुख्य न्यायाधीश की तरफ से जो जज नामित होंगे वे आगे इस मामले की सुनवाई करेंगे

बताते चलें कि पिछले दिनों हाईकोर्ट ने जजों को प्रमोशन दिया था। इसके बाद गुजरात सरकर ने इन जजों की नियुक्ति का आर्डर भी जारी कर दिया था। प्रमोशन प्रक्रिया में कम अंकों वाले जजों के चयन पर गुजरात के दो ज्यूडिशियल ऑफिसर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और हाईकोर्ट की तरफ से अपनाए गए तरीके पर आपत्ति जताई थी।

इस मामले पर 8 मई को आखिरी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रिजर्व कर लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने आज 12 को मई को अपने अंतरिम फैसले में सभी जजों के प्रमोशन पर रोक लगाने का ऐलान किया है।

68 जजों के प्रमोशन पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद अब नए सिरे जजों का चयन किया जाएगा। ऐसे में जजों के प्रमोशन और नियुक्ति अब आमान्य मानी जाएगी। अब देखना होगा कि हाई कोर्ट जब फिर जजों की सूची बनाएगा तो किस नियम से सूची तैयार होती है।विशेषज्ञों की मानें तो अगर नई सूची में मेरिट और सीनियोरिटी पर बनी तो इस सूची से कम से कम 40 जजों के नाम बाहर हो सकते हैं।

Share This Article