DESK– लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है और पहले चरण का नामांकन भी चल रहा है. इस बीच कई बागी प्रत्याशी मुख्य गठबंधन के प्रत्याशियों का खेल बिगड़ने मैदान में उतरने की घोषणा की है.
इस कड़ी में मुंगेर और नवादा लोकसभा सीट के लिए दो नामचीन नेताओं ने चुनाव लड़ने की घोषणा की है इससे भाजपा जदयू गठबंधन के प्रत्याशियों की मुश्किल बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है.
बताते चलने की मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से अभी जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह सांसद हैं और जेडीयू ने फिर से उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं राजद ने पूर्व बाहुबली अशोक महतो की नव नवेली दुल्हन अनिता कुमारी को मैदान में उतारा है.
इस बीच मोकामा के बाहुबली नलिनी रंजन उर्फ ललन सिंह ने भी मुंगेर से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है, इससे जदयू के ललन सिंह की राह कठिन हो सकती है. बताते चलें कि मोकामा वाले ललन सिंह हाल तक बीजेपी के साथ जुड़े थे. उनकी पत्नी मोकामा विधानसभा से उपचुनाव लड़ी थी लेकिन वह अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी से हार गई थी. बदली हुई राजनीतिक समीकरण में नीलम देवी जदयू भाजपा गठबंधन के पक्ष में आ गई है इस वजह से नलिनी रंजन उर्फ ललन सिंह बीजेपी गठबंधन में असहज़ महसूस कर रहे थे. पूर्व सांसद सूरजभान के नजदीकी माने जाने वाले ललन सिंह अनंत सिंह से 36 का आंकड़ा रखते हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में ललन सिंह के खिलाफ मैदान में उतरने वाली नीलम देवी इस साल jdu के ललन सिंह के साथ है. इसलिए मोकामा वाले ललन सिंह ने लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरने की घोषणा कर दी है. इससे यहां का मुकाबला काफी संघर्ष पूर्ण हो सकता है. क्योंकि मोकामा वाले ललन सिंह और जदयू के ललन सिंह दोनों एक ही समाज से आते हैं.
वहीं नवादा सीट की बात करें तो यहां से मशहूर गायक गुंजन सिंह ने चुनाव लड़ने की घोषणा की है. उन्होंने स्थानीय प्रत्याशी होने का दावा करते हुए चुनाव लड़ने की घोषणा की है और यहां के मतदाताओं से बाहरी उम्मीदवारों का विरोध करने का आह्वान किया है. बताते चलें कि वर्तमान में यहां से राष्ट्रीय लोजपा के चन्दन सिंह सांसद हैं, पर इस बार एनडीए गठबंधन से उन्हें टिकट नहीं मिला है और बीजेपी ने राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर को अपना प्रत्याशी बनाया है. जबकि राजद ने श्रवण कुशवाहा को टिकट दिया है. लोक गायक गुंजन सिंह अगर मैदान में खड़े होते हैं और ज्यादा वोट लाते हैं तो भाजपा प्रत्याशी के लिए राह कठिन हो सकती है. इस तरह की स्थिति दूसरे लोकसभा क्षेत्र में भी देखने को मिल सकती है जब मुख्य गठबंधन से टिकट की आस लगाए कई नेता बागी होकर मैदान में उतर जाएंगे.