DESK- शराबबंदी कानून का दुरुपयोग करने के मामले में पटना हाई कोर्ट ने बड़ी कार्रवाई की है और राज्य के मध्य निषेध विभाग के अपर मुख्य सचिव समेत अधिकारियों के खिलाफ 50 हजार का आर्थिक जुर्माना लगाया है और कहा है कि शराबबंदी कानून के कई सख्त पहलुओं का अधिकारी दुरुपयोग कर रहे हैं और इससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है इसलिए ऐसे अधिकारियों को आर्थिक दंड देना होगा.
पटना हाइकोर्ट ने सुनीता सिन्हा की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया है.
जस्टिस पी बी बजनथ्री की खंडपीठ ने सुनीता सिन्हा की याचिका पर सुनवाई करते हुए नराजगी जाहिर की और बिहार सरकार के निबन्धन एवं
मद्यनिषेध विभाग के अपर मुख्य सचिव सहित अन्य वरीय अधिकारियों पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
कोर्ट ने कहा कि जुर्माने की राशि अपर मुख्य सचिव के साथ राज्य के उत्पाद आयुक्त, पटना के डीएम और एसएसपी सहित अन्य अधिकारियों को याचिकाकर्ता को देना होगा। कोर्ट ने कहा कि ये सभी अधिकारी मनमाने तरीके से बगैर किसी सबूत के याचिकाकर्ता को शराबबन्दी कानून तोड़ने का आरोपी मानते हुए पटना के बाईपास (रामकृष्ण नगर) में स्थित उसके मकान को सील करके उसे राज्यसात करने का आदेश दिया था।कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि किसी सरकारी क्वार्टर के अंदर शराब की एक बोतल पायी जाएगी, तो क्या सरकार अपने ही क्वार्टर को सील करने के लिए आगे आएगी ? हाई कोर्ट ने कहा कि किस आधार पर अपर मुख्य सचिव ने मकान को मुक्त करने के लिए 10 लाख रुपए का पेनल्टी लगाया ?
एक ही जुर्म के लिए कहीं एक लाख रुपये,तो कहीं 10 लाख रुपए जुर्माना लगाना ऐसा मनमानापन क्यों?
इसके साथ ही हाईकोर्ट में टिप्पणी करते हुए कहा कि हम यहां शराबबंदी कानून की कमियों को उजागर करने के लिए नहीं बैठे हैं, लेकिन फिर भी इस कानून को जैसे गलत तरीके से लागू किया जा रहा है,उसके लिए अधिकारियों को जुर्माना देना ही होगा।
हाई कोर्ट ने अपने विस्तृत फैसले में यह कहा है कि शराबबंदी कानून के कई प्रावधान बहुत सख़्त है। इसका उपयोग अधिकारी लोग मनमानी तरीके से करते हैं।इस कानून का अनुपालन एक समान और
तर्कसंगत हो,इस सम्बन्ध में राज्य सरकार को एक दिशा निर्देश तैयार करने का प्रावधान शराबबंदी कानून में है,जो आज तक जारी नहीं हो सका है।कोर्ट ने माना कि एक तार्किक दिशा निर्देश के अभाव में उत्पाद विभाग के अधिकारी मनमानी तरीके से शराबबंदी कानून का दुरुपयोग कर रहे हैं।
गौरतलब है कि याचिकाकर्ता सुनीता धनबाद में रहती है ,जहां उसके पति कोल इंडिया लिमिटेड के महाप्रबंधक के पद से पिछले साल रिटायर हुए थे।कोर्ट को बताया गया था कि वर्ष 2020 में याचिकाकर्ता द्वारा उक्त मकान को गोदाम के रूप में किराए पर दे दिया था।उसका एग्रीमेंट भी बना था.किरायनामा के एग्रीमेंट में यह स्पष्ट रूप से अंकित था कि किराएदार उक्त मकान में कोई भी गैर कानूनी या प्रतिबंध काम नहीं करेगा।और अगर कोई भी गैरकानूनी काम होता है, तो उसकी जवाबदेही किराएदार पर ही होगी। इसके बावजूद सॉन्ग उसे मकान को विभाग के द्वारा सील किया गया और बाद में सील को हटाने के लिए 10 लाख का आर्थिक जुर्माना लगाया गया इसमें गोदाम मालिक संगीता का किसी तरह का दोष नहीं था इसके बावजूद अधिकारियों ने मनमानी तरीके से कम की इसीलिए पटना हाईकोर्ट में नाराजगी जताते हुए अधिकारियों के खिलाफ आर्थिक जुर्माना लगाया है और सरकार से एक विशेष गाइडलाइन जारी करने की अपेक्षा की है.