Desk- बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के निजी सचिव के द्वारा विभागीय अपर मुख्य सचिव के के पाठक को पीत पत्र लिखा गया था जिसके बाद विभाग में विवाद बढ़ गया था और विभागीय अधिकारियों ने मंत्री के निजी आप्त सचिव पर कार्यालय में आने पर रोक ही लगा दी थी इसके बाद शिक्षा विभाग के मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर नाराज हो गए थे और कई सप्ताह तक कार्यालय नहीं गए थे. सीएम नीतीश और तेजस्वी से मुलाकात के बाद उन्होंने फिर से कार्य संभाला है लेकिन निजी सचिव के पीतपत्र पर केके पाठक द्वारा लिए गए सख्त डिसीजन पर नीतिश सरकार ने मुहर लगा दी है, और एक विशेष आदेश जारी किया गया है जिसमें मंत्री के निजी आप्त सचिव के अधिकारों में कटौती कर दी गई है.
अब मंत्री के सरकारी आप्त सचिव ही विभाग के अधिकारियों से विचार विमर्श एवं पत्राचार कर सकेंगे .. निजी आप्त सचिव अब इस तरह का काम नहीं करेंगे इसके लिए बिहार सरकार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने एक पत्र जारी किया है जिसमें स्पष्ट तौर पर लिखा है कि मंत्री के सरकारी आप्त सचिव और निजी आप्त सचिव के कार्य अलग-अलग तरह के होंगे।
सरकार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने लिखा है कि निजी आप्त सचिव किसी विभागीय अधिकारी के साथ विभागीय कार्य से संबंधित अपने स्तर पर मौखिक विमर्श, समीक्षा, दिशा निर्देश अथवा लिखित पत्राचार नहीं करेंगे।
सरकारी आप्त सचिव प्रशासनिक सेवाओं के पदाधिकारी होते हैं। उन्हें सरकारी नियमों, प्रक्रियाओं आदि की विस्तृत जानकारी एवं कार्यानुभव होता है। इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि मंत्री के आप्त सचिव सरकारी के द्वारा सरकारी संचिकाओं से संबंधी कार्य, मंत्री के आदेशानुसार सरकार के पदाधिकारियों से पत्राचार संबंधी कार्य एवं मंत्री द्वारा सौंपे गये अन्य सरकारी काम करेंगे। मुख्य सचिव के इस आदेश के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि मंत्री के निजी सचिव के पावर में कटौती हो गई है .अब वे विभागीय कार्य में ज्यादा हस्तक्षेप नहीं कर पाएंगे और मंत्री को अपने सरकारी विभागीय सचिव के जरिए ही काम कराना होगा.