कहीं ख़ुशी कहीं गम: शिक्षा विभाग के एक आदेश से हज़ारों टीचर्स की सेवा खत्म

Arun Chourasia

Patna- बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित करीब 2 लाख से ज्यादा शिक्षकों की भर्ती बिहार के विभिन्न सरकारी स्कूलों में हो चुकी है. इन लाखों शिक्षकों के परिवार में उत्साह का माहौल है, तो इनकी नियुक्ति की वजह से करीब 4 हज़ार से ज्यादा पुराने शिक्षकों की नौकरी जा रही है. अतिथि शिक्षकों के रूप में उनकी सेवा ली जा रही थी जिसे अब 31 मार्च को खत्म किया जा रहा है और अब 1 अप्रैल से एक भी अतिथि शिक्षक बिहार के किसी भी सरकारी स्कूल में दिखाई नहीं पड़ेंगे.

अतिथि शिक्षकों की सेवा खत्म करने को लेकर शिक्षा विभाग ने निर्णय लिया है.इस निर्णय से संबंधित पत्र माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को भेज दिया है. इस पत्र में यह कहा गया है कि चुकी बिहार के माध्यमिक स्कूलों में 94 हजार से ज्यादा शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है इसलिए अब अतिथि शिक्षकों से सेवा लेने की कोई जरूरत नहीं है. 1 अप्रैल से सभी अतिथि शिक्षकों की सेवा खत्म हो जाएगी. किसी भी हालत में अब उनकी सेवा नहीं ली जाए और इससे संबंधित रिपोर्ट विभाग को भेजी जाए.

शिक्षा विभाग का लेटर

बताते चलें कि बिहार के माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी थी जिसकी वजह से शिक्षा विभाग ने अतिथि शिक्षकों की सेवा लेने का निर्णय लिया था. 4 हज़ार से ज्यादा पदों पर ये अतिथि शिक्षक काफी समय से अपनी सेवा दे रहे थे और हाल ही में जब बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा शिक्षकों की भर्ती निकाली गई थी तो इन लोगों ने भी नियोजित शिक्षकों की तरह उम्र और अन्य शर्तों में छुट देने की मांग की थी, पर शिक्षा विभाग ने उनकी मांग को नहीं माना. इन अतिथि शिक्षकों की यह भी मांग थी कि वे नियोजित शिक्षकों की तरह ही स्कूली बच्चों को पढ़ा रहे थे. इनके पास पर्याप्त डिग्री भी है. इसलिए उनकी भी सेवा स्थाई की जाए. और नियोजित शिक्षकों की तरह ही सक्षमता परीक्षा लेकर उन्हें राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाए. इसके लिए अतिथि शिक्षक संघ ने आंदोलन भी किया,पर शिक्षा विभाग के द्वारा उनकी मांग को अनसुना कर दिया गया और अब इनकी नौकरी जा रही है.

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