Desk- हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा यानी हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष कुमार सुमन उर्फ संतोष मांझी ने मंगलवार को नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया और उनका इस्तीफा स्वीकार भी हो गया है. संतोष मांझी के इस्तीफे के बाद मीडिया में यह सुर्खियां बनी कि पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने एक बार फिर से पाला बदलते हुए नीतीश और तेजस्वी की सरकार को करारा झटका दिया है ..लेकिन धीरे-धीरे हकीकत सामने आ रही है और अब यह बात स्पष्ट हो गई है कि इस बार करारा झटका जीतनराम मांझी ने नहीं, बल्कि नीतीश कुमार ने दिया है.
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने जीतनराम मांझी के समक्ष ऐसी कड़ी शर्त रखी थी जिसके बाद जीतनराम मांझी का अपने बेटे को इस्तीफा दिलाने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया था .
हमने ही आपको सबकुछ दिया-नीतीश
जीतनराम मांझी और उनके पार्टी के विधायकों के साथ हुई मुलाकात में नीतीश कुमार ने स्पष्ट रूप से कहा था कि मांझी जी आपको सीएम हमने बनाया , आपके बेटे संतोष को मंत्री हमने बनाया , आपकी समधन ज्योति मांझी को विधायक हमने बनाया था.. तो फिर आप इधर उधर जाने की क्यों सोचते हैं. आपको अगर आगे भी हमारे साथ रहना है और हमारे लिए सम्माध है तो अपनी पार्टी का विलय जेडीयू में कर दीजिए ..उसके बाद आपकी मांगे हमलोग मान लेगे.. इसके लिए आपके पास 2 दिन का समय है..इस दो दिन में आप अपना फैसला कर लीजिए कि आपको हमारे साथ काम करना है अन्यथा आपके लिए आगे का रास्ता खुला हुआ है और बीजेपी तो आपको ऑफर कर ही रही है।अपना फैसला आप विजय चौधरीजी को बता दीजिएगा.
नीतीश कुमार के सख्त तेवर से जीतनराम मांझी और उनके पार्टी के नेताओं को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ये ऐसा क्यों बोल रहे हैं.वहां से सभी नेता नीतीश की बात सुनकर निकल गए और बाद में तय किया कि हमें अपनी पार्टी को जिंदा रखना है,क्योंकि पार्टी के अधिकांश नेता और कार्यकर्ता नहीं चाहते हैं कि यह पार्टी खत्म हो. यही वजह है कि पार्टी को बचाए रखने के लिए जीतनराम मांझी ने अपने बेटे संतोष मांझी को भारी मन से मंत्री पद से इस्तीफा दिलवा दिया . इस्तीफे के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष मांझी ने स्पष्ट रूप से कहा था कि वह अभी महागठबंधन में है अगर यह लोग हमें साथ रखना चाहे तो ठीक है अगर नहीं रखना चाहे तो हम एकला चलो की नीति पर आगे बढ़ेंगे और कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर पार्टी को और मजबूत करेंगे, पर जेडीयू के नेताओं ने ही अपने तरफ से अस्पष्ट कर दिया कि जब संतोष मांझी ने नीतीश कुमार के साथ काम करने में असमर्थता जताई है यह मानकर चलना चाहिए कि अब उनकी पार्टी महागठबंधन का हिस्सा नहीं है.
अमित शाह से मुलाकात से खफा हुए नीतीश
यूं तो हम सभी जानते हैं कि जीतन राममांझी अक्सर जिस गठबंधन में रहते हैं उसी के खिलाफ बयानबाजी करते रहते हैं पर पिछले दिनों जीतनराम मांझी का केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करना उनके लिए आफत साबित हुई. नीतीश कुमार इस मुलाकात से खासे नाराज हो गए हालांकि इस मुलाकात में क्या बातचीत हुई और अमित शाह ने कैसे उन्हें एनडीए में आने का ऑफर दिया ..ये सारी बातें जीतनराम मांझी ने नीतीश कुमार को जाकर बता दी थी पर इसके साथ ही उन्होंने हर हाल में नीतीश के साथ ही रहने का आश्वासन दिया था पर नीतीश कुमार को जीतनराम मांझी की बातों पर भरोसा नहीं हो पा रहा था. इस बीच कुछ दिन पहले जीतनराम मांझी ने नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए के साथ ही पीएम मोदी की भी प्रशंसा कर दी और इसी बयान के बाद नीतीश कुमार को यह विश्वास हो गया कि लोकसभा चुनाव से पहले ये बीजेपी के साथ जाएंगे और वहां जाने से पहले उलटा पुलटा बयान देकर महागठबंधन की मुश्किलें बढ़ायेगें. इसलिए अच्छा है कि मांझी के बाय-बाय बोलने से पहले ही उन्हें महागठबंधन से विदा किया जाए और यही वजह है कि जीतनराम मांझी के समक्ष ऐसी शर्ते रखी गई जिसे मानना मांझी और उनकी पार्टी के लिए कहीं से भी संभव नहीं था और अंत में जीतन राम मांझी को अपने बेटे को इस्तीफा दिलवाना पड़ा.
इस बार जीतनराम मांझी का दो नावों की सवारी करने वाला दाव काम नहीं आया और उनकी नाव तत्काल बीच मंझधार में ही फंसी हुई नजर आ रही है। इस्तीफे के बाद पूर्व मंत्री संतोष मांझी के साथ ही पार्टी के अधिकांश नेता और कार्यकर्ता अंदर से निराश हैं. इसके बावजूद जीतनराम मांझी और संतोष मांझी अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि अगले लोकसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी को और मजबूत की जाए ताकि अगर बीजेपी के साथ गठबंधन हो तो उसे उचित भाव मिल सके.
दो चाणक्य के फेरा में फंसे मांझी
सूत्रों की माने तो जीतनराम मांझी की रणनीति यह थी कि बीजेपी से ऑफर की बात कह कर वह महागठबंधन और नीतीश कुमार से मोलभाव करना चाहती थी इसीलिए जीतनराम मांझी की टीम ने दशरथ मांझी को भारत रत्न दिलाने की मांग के नाम पर अमित शाह से मुलाकात की थी, वही जीतन राम मांझी की मनसा को नीतीश कुमार भांप गए थे यही वजह है कि मांझी के झटका देने से पहले नीतीश कुमार ने ही मांझी को ऐसा झटका दिया कि उनका बेटा अब पूर्व मंत्री हो गया है और अब बीजेपी भी मांझी के ज्यादा शर्ते मानने का दबाव नहीं झेल पाएगी क्योंकि बीजेपी जानती है कि मांझी अब जाएंगे तो कहां जाएंगे.. उनके पास अब बीजेपी का साथ देने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया है.