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सपनों को दे नई उड़ान

संघर्ष से बनाया मुकाम

बीड़ी में तंबाकू भरने वाला INDIAN अमेरिका में बना जज

DESK:-संसाधन और पैसे के अभाव में निराश होकर पढाई छोड़ने वाले युवाओं के साथ ही आमलोगों के लिए सुरेन्द्र के पटेल( Surendran K Pattel) एक प्रेरणा की तरह है..जिन्हौने केरल के सुदुरवर्ती गांव में बीड़ी में तंबाकू भर कर घर का खर्च चलाने से लेकर अमेरिका में जज बनने तक की यात्रा तय  की है.उनके जज बनने के ख्वाईश पर मजाक उड़ाने वाले उनके  सहपाठी अब उनकी तारीफ करते नजर आ रहें हैं.

 

सुरेन्द्र के पटेल के संघर्ष भरे जीवनी की बात करें तो उनका जन्म सुरेंद्र केरल के कासरगोड में एक गरीब परिवार में हुआ था. परिवार की आमदनी का जरिया दिहाड़ी मजदूरी था. सुरेंद्रन को बचपन से ही पढाई में दिलचस्पी थी,पर परिवार की अर्थिकी पढाई का पैसा खर्च करने में समर्थ नहीं थी.इसलिए सुरेन्द्र ने प्रारंभिक पढाई तो किसी तरह परिवार के सहयोग से कर ली ,पर हाई स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई के लिए उसनो अपनो परिवार के सदस्य के साथ बीड़ी फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया.वे बीड़ी में तंबाकू भरने  का काम करते थे.

फैक्ट्री में काम करने की वजह से सुरेन्द्र रोजाना कॉलेज नहीं जा पाते थे..पर मित्रों से कॉलेज के नोट्स लेकर रात में पढाई करते थे.कॉलेज में उपस्थिति कम होने की वजह से उन्हें एक बार परीक्षा देने के रोक दिया गया,पर सुरेन्द्र ने अपनी मजबूरी बताते हुए कॉलेज प्रबंधन से कहा कि अगर वह अच्छा नबंर नहीं लाया तो उसे आगे से मौका नहीं दें..इसके बाद कॉलेज ने सशर्त परीक्षा देने का अवसर दिया और सुरेन्द्र अपनी मेहनत और लगन के बल पर कॉलेज में टॉप आये.उसके बाद कॉलेज प्रबंधन और और मित्रों का व्यववहार सकारात्मक हो गया. विधि विश्वविद्यालय में जब नामांकन के लिए पैसे कम पड़ रहे थे .तो मित्रों के सहयोग से नामांकन ले पाये ,और फिर अच्छे नंबर से परीक्षा पास की.

 

 

कानून की पढाई पूरी होने के बाद सुरेन्द्र ने 1995 में केरल के होसदुर्ग में प्रैक्टिस शुरू कर दी. बाद में उन्होंने दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में काम करना शुरू किया..इस बीच उसकी शादी हो गई.उकी पत्नी नर्स थी और उसे अमेरिका के एक अस्पताल में नौकरी लगी गई..

 

पत्नी और बच्चों के साथ सुरेन्द्र भी अमेरिका चला गया.यहां के ह्यूसटन शहर में उन्हौने कानून की नये सिरे से पढाई शुरू कर दी और 2011 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की.लगातार अमेरिका में वकालत से जुड़े रहे.इस बीच 2017 में  उन्हें नागरिकता मिल गयी और  2022 में वे वहां के जिला जज बन गए.वे अभी अमेरिका के टेक्सास में जिला जज के रूप में काम कर रहें हैं.सुरेन्द्र के पटेल की जीवन निश्चित रूप से हम सभी को प्रेरित करने वाला है और निराशा के धुंध के बीच आशा की किरण जगाने वाला है.

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