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IAS केके पाठक का फिर चला डंडा:अपने ही सचिवालय के अधिकारियों और कर्मियों के वेतन पर लगाई रोक

बिहार विवि के वीसी और प्रोवीसी पर कार्रवाई के आदेश पर राजभवन और सरकार है आमने-सामने

अपर मुख्य सचिव केके पाठक के आदेश की जद में हजारों शिक्षक, कर्मचारी और अधिकारी आ चुके हैं.

patna- बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रति कुलपति का वेतन रोके जाने एवं वित्तीय अधिकार छीने जाने को लेकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के आदेश पर राजभवन और बिहार सरकार आमने-सामने है और विपक्षी बीजेपी के साथ कई संगठनों द्वारा केके पाठक की कार्यशैली पर सवाल उठाए जा रहे हैं इसके बावजूद इन आपत्तियों से बेपरवाह के के पाठक अपने अभियान में लगे हुए हैं और इस कड़ी में एक बार फिर से नया आदेश जारी करवाया है, जिसमें शिक्षा विभाग से जुड़े सचिवालय के कई अधिकारियों और कर्मियों के वेतन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. इन पर केके पाठक के आदेश का पालन करने में लापरवाही का आरोप लगा है.

इस संबंध में केके पाठक के निर्देश पर शिक्षा विभाग के निदेशक(प्रशासन) सुबोध कुमार चौधरी ने पत्र जारी किया है,जिसमें शिक्षा विभाग के सभी प्रशाखा पदाधिकारियों, सहायकों और संचिका उपस्थापन से संलग्न सभी लिपिकों का वेतन रोकने की बात कही गई है।पत्र के अनुसार शिक्षा विभाग के प्रशाखाओं के निरीक्षण के दौरा ये पाया गया कि प्रशाखा पदाधिकारियों औऱ सहायकों ने अपना काम सही तरीके से नहीं किया है. उन्हें बेकार पड़ी फाइलों को नष्ट करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन निरीक्षण के दौरान पाया गया कि अनुपयुक्त और नष्ट करने योग्य फाइलें विभाग में यूं ही पड़ी हुई हैं. ये विभाग के आदेश की अवहेलना है.इसलिए अगले आदेश तक संचिकाओं से संबंधित सारे प्रशाखा पदाधिकरियों, सहायकों और लिपिकों के वेतन पर रोक लगा दिया गया है.

बताते चलें कि अपर मुख्य सचिव का पद संभालने के साथ ही आईएएस के के पाठक ने स्कूलों के निरीक्षण का आदेश जारी किया था इस निरीक्षण के दौरान लापरवाही के आरोप में हजारों शिक्षकों एवं कर्मियों का वेतन बंद करने के साथ ही स्पष्टीकरण मांगा गया था. स्कूल के बाद कॉलेज एवं विश्वविद्यालय का भी निरीक्षण करने का निर्देश केके पाठक ने दिया था और वहां भी लापरवाही पाए जाने पर कई शिक्षकों और कर्मियों का वेतन बंद किया था. जब उन्हौने बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रति कुलपति का वेतन बंद करने का आदेश दिया तो राजभवन ने इस पर आपत्ति जताई थी और केके पाठक के अधिकार पर सवाल उठाए थे उसके बाद ऐसा लगा था कि शायद केके पाठक का आदेश कुछ दिनों के लिए रुक जाएगा लेकिन आज के आदेश से ऐसा लग रहा है कि उनका अभियान लगातार जारी रहेगा और आने वाले दिनों में और भी कई लोग इस जद में आएंगे.

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