Patna :- विधानसभा चुनाव की तैयारी में लगे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रगति यात्रा के जरिए पूरे बिहार के लोगों को 2005 से पहले लालू राबड़ी कार्यकाल के जंगल राज की याद दिला रहे हैं, और खुद की सत्ता को सुशासन की सरकार बताते हुए अमन चैन लाने की बात कर रहे हैं, हाल के दिनों में हुई कुछ घटनाएं उनके दावे पर सवालिया निशान लगा रहे हैं, और विपक्षी दलों को उनकी सरकार पर हमला करने का मौका मिल रहा है.
एक उदाहरण पूर्व उपमुख्यमंत्री और बिहार सरकार में पशुपालन मंत्री रेणु देवी के भाई का मामला है, जिन पर सरे आम एक व्यक्ति को उठाकर होटल में ले जाने और जबरदस्ती जमीन लिखवाने का मामला सामने आया था इसको लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने वीडियो शेयर करके नीतीश सरकार पर हमला बोला था और बाद में अलर्ट हुई पुलिस ने मंत्री के भाई के खिलाफ कार्रवाई की थी. अब एक दूसरा बड़ा मामला मोकामा के पूर्व बाहुबली विधायक अनंत सिंह के कारनामे को लेकर है. बुधवार 22 जनवरी की शाम में मोकामा विधानसभा क्षेत्र के पचमहला थाना क्षेत्र के नौरंगा जलालपुर की मुखिया उर्मिला सिन्हा के घर पर जिस तरह की फायरिंग हुई है, और फायरिंग का आरोप पूर्व बाहुबली विधायक अनंत सिंह और उनके समर्थकों पर लगा है, वह पटना पुलिस के साथ ही नीतीश सरकार के लिए भी परेशानी खड़ी करने वाली है. वर्चस्व की लड़ाई में हुई फायरिंग के बाद पूरे इलाके में दहशत का माहौल है, और लोगों को एक बार फिर से गैंगवार के शुरू होने की आशंका सता रही है. जिस तरह से स्थानीय थाना प्रभारी और उनकी टीम के साथ बदसलूकी की गई और काम करने से रोका गया , वह साबित करता है कि इस इलाके में अनंत सिंह की दबंगई अभी भी कायम है, और उन्हें पुलिस प्रशासन की कार्रवाई से डर नहीं लगता है. पूरे मामले पर पुलिस की तरफ से तीन FIR किए गए हैं, इसमें एक एफआईआर पुलिस की तरफ से भी किया गया है, जबकि दूसरा FIR मुखिया उर्मिला सिन्हा की तरफ से पूर्व विधायक अनंत सिंह एवं उनके समर्थकों के खिलाफ कराया गया है, जबकि तीसरा FIR मुकेश सिंह नामक व्यक्ति ने मुखिया उर्मिला सिन्हा के बेटे सोनू और मोनू के खिलाफ कराया गया है. यह गैंगवार सोनू मोनू गिरोह और अनंत सिंह के समर्थकों के बीच शुरू हुई है. सोनू मोनू दोनों भाई पहले अनंत सिंह के संरक्षण में ही अपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया करता था और मोनू जेल भी जा चुका है.
FIR दर्ज होने के बाद किसी भी आरोपी के खिलाफ पुलिस ने अभी तक कार्रवाई नहीं की है. FIR दर्ज होने के बाद पूर्व विधायक अनंत सिंह ने कहा कि वे इस तरह की FIR से नहीं डरते हैं इससे कुछ होने वाला नहीं है, वहीं सोनू और मोनू के पिता ने कहा है कि वे अनंत सिंह की दबंगई के आगे नहीं झुकेंगे, यानी दोनों तरफ से धमकी दी जा रही है.
वही इस चुनावी वर्ष में राजद ने इसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से लेकर पार्टी के प्रवक्ता लगातार नीतीश सरकार पर हमलावर हैं. राजद नेताओं ने कहा है कि एक-47 से खुले आम फायरिंग कर दहशत फैलाने वाले पूर्व विधायक को सरकार पकड़ने के बजाय सुरक्षा मुहैया करा रही है, क्योंकि सुशासन का दावा करने वाले नीतीश कुमार की अभी सरकार में चलती नहीं है बल्कि दो पटना और दो दिल्ली के अधिकारी सरकार को चला रहे हैं और वह अपराधियों को खुला संरक्षण दे रहे हैं, यही वजह है कि सत्ताधारी दल के नेता लगातार अपराधी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं.अनंत सिंह के बयान को कोड करते हुए राजद प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि यह पुलिस को पुलिस चुनौती दे रहे हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि नीतीश सरकार उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेंगी. राजद नेता ने कहा कि अगर इस तरह की दबंगई का आरोप किसी विपक्षी दल के नेता पर लगता तो क्या पुलिस अभी तक हाथ पर हाथ धर कर बैठी रहती..
बताते चले हैं कि हाल ही में अनंत सिंह को एक-47 मामले में पटना हाई कोर्ट से राहत मिली थी जिसके बाद वे जेल से बाहर निकले हैं. विपक्षी दलों द्वारा परोक्ष रूप से उनके केस में सरकार पर नरमी बरतने का आरोप लगाया गया था. हाल के दिनों में नीतीश कुमार और अनंत सिंह की कई मुलाकात सार्वजनिक रूप से हुई है, जिससे यह माना जा रहा है कि अनंत सिंह को हर हाल में नीतीश कुमार अपने साथ बनाए रखना चाहते हैं, इसलिए उन्हें अनंत सिंह की पत्नी और मोकामा की विधायक नीलम देवी RJD को छोड़कर JDU के साथ आयी है.
ऐसे में अब सवाल उठता है कि कई सालों बाद फिर से जिस तरह से अनंत सिंह के ऊपर गैंगवार शुरू करने का आरोप लग रहा है, और उनके धुर विरोधी मोकामा के ललन सिंह जैसे नेता ने मोर्चा खोल दिया है, वैसी स्थिति में क्या नीतीश कुमार अनंत सिंह को इस तरह की मनमानी करने की छूट देंगे, अगर अनंत सिंह पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं होती है, तो नीतीश सरकार के सुशासन को लेकर बिहार की जनता में क्या मैसेज जाएगा, राजद और दूसरी अन्य विपक्षी दलों के नेता इस मुद्दे को आगे भुनाने की कोशिश करेंगे. ऐसा लगता है कि इस मुद्दे पर बिहार की राजनीति आने वाले दिनों में गर्म रहेगी.