PATNA:- बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालय के कुलपति समेत अन्य पदाधिकारियों ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक के खिलाफ खुलेआम मोर्चा खोल दिया है, और उनका आदेश मानने से इनकार कर दिया है, इसके बाद के के पाठक के द्वारा सख्त कदम उठाने का अनुमान लगाया जा रहा है, इसके बाद शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय के बीच तनातनी और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है.
बताते चले कि इससे पहले के के पाठक के द्वारा बुलाए गए बैठक में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, कुलसचिव एवं अन्य पदाधिकारी राजभवन से अनुमति नहीं होने का बहाना बनाकर शामिल नहीं होते थे, लेकिन इस बार शिक्षा मंत्री सुनील कुमार की पहल के बाद राजभवन ने सभी विश्वविद्यालय के कुलपति एवं अन्य पदाधिकारियों को शिक्षा विभाग की बैठक में शामिल होने की अनुमति दी थी. यह बैठक 28 और 29 मार्च को आयोजित की गई थी. राजभवन के आदेश के बावजूद आज एक भी कुलपति और विश्वविद्यालय कर्मी शिक्षा विभाग की बैठक में शामिल नहीं हुए, जिसके बाद शिक्षा विभाग ने बैठक को स्थगित कर दिया है.इस बैठक के स्थगित होने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि के के पाठक पहले की अपेक्षा सख्त फैसला विश्वविद्यालय के कुलपति एवं अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ ले सकते हैं. इससे पहले राजभवन की अनुमति का बहाना बनाकर बैठक में शामिल नहीं होने पर केके पाठक ने कुलपति कुलसचिव एवं अन्य पदाधिकारी का वेतन बंद कर अकाउंट फ्रीज कर दिया था और थाने में FIR करने के लिए आवेदन भी भिजवाया था, पर सरकार की पहल के बाद किसी भी कुलपति के खिलाफ उस समय केस दर्ज नहीं हुआ था, पर शिक्षा विभाग और के के पाठक की सख़्ती के खिलाफ विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों ने राजभवन से शिकायत की थी, जिसके बाद rajbhawan ने पाठक को तलब भी किया था, और कई तरह के आदेश भी दिए थे इसके बावजूद के के पाठक ने विश्वविद्यालय के कुलपति एवं अन्य पदाधिकारियों को पूरी तरह से राहत नहीं दी थी. अब जबकि राजभवन ने भी इस बार बैठक में जाने की अनुमति दी थी उसके बावजूद विश्वविद्यालय के पदाधिकारी केके पाठक के द्वारा बुलाए गए दो दिवसीय कार्यशाला में नहीं आए हैं, इसके बाद अगर शिक्षा विभाग किसी तरह की शख्ती करती है तो फिर राजभवन भी ज्यादा आपत्ति नहीं जाता पाएगी क्योंकि राजभवन से भी इन विश्वविद्यालय के कर्मियों को बैठक में शामिल होने के लिए आदेश दिया गया था.