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CM नीतीश ने फैसला पलटा, कुलाधिपति और शिक्षामंत्री ने चेताया:अब क्या करेंगे IAS के के पाठक

शिक्षक दिवस पर शिक्षा मंत्री से केके पाठक ने बनाई दूरी.. तो नीतीश के सामने ही कुलाधिपति ने के के पाठक को चेताया

एक सचिव रैंक के अधिकारी को कुलाधिपति से सवाल पूछने की हिम्मत कहां से मिलती है-राज्यपाल

 

PATNA:- कड़क अधिकारी माने जाने वाले बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव IAS के के पाठक अपनी कार्यशैली की वजह से चौतरफा घिरते नजर आ रहे हैं. पिछले एक सप्ताह में बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने उनके दो आदेश को पलट दिया है.. वहीं बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति और शिक्षा मंत्री ने शिक्षक दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के मंच से परोक्ष रूप से उन पर निशाना साधा है, जबकि शिक्षक और शिक्षक संघ पहले से ही उनकी कार्यशैली को लेकर खिलाफत कर रहा है .

1 जुलाई से केके पाठक का शुरू हुआ अभियान

गौरतलब है कि मद्य एवं निषेध विभाग से शिक्षा विभाग का अपर सचिव बनाए जाने के बाद से ही के के पाठक ने सख्त कदम उठाने शुरू कर दिया था और दो महीने में सरकारी स्कूलों की व्यवस्था बदल दी. 1 जुलाई से ही उन्होंने स्कूलों का निरीक्षण शुरू किया और अपने अधिकारियों को स्कूलों में भेजना शुरू किया और लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों को दंडित भी करना शुरू कर दिया. हजारों शिक्षकों का वेतन काटा गया और कई शिक्षकों को निलंबित भी कर दिया गया.

कुलपति नियुक्ति और छुट्टी रद्द मामले से  सरकार की किरकिरी

केके पाठक लगातार आदेश निकलने रहे इससे शिक्षक और शिक्षक संघ पर दबाव बढ़ा और प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से उन्होंने विरोध करना शुरू किया पर केके पाठक के इस आदेश से बिहार के आम लोग काफी खुश दिखे क्योंकि स्कूलों में शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति बढ़ने लगी. जो शिक्षक या कर्मचारी स्कूल जाने या कार्य में आनाकानी करते थे उनके खिलाफ कार्रवाई हो रही थी. इस बीच के के पाठक के कई आदेश की वजह से नीतीश सरकार की काफी किरकिरी हुई शिक्षा. विभाग द्वारा पहली बार कुलपति की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया जिससे राजभवन से विवाद बढ़ा और सीएम नीतीश कुमार को राज्यपाल सह कुलाधिपति से मुलाकात करना पड़ा इसके बाद यह मामला सुलझा और नीतीश कुमार के आदेश से शिक्षा विभाग द्वारा कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर जारी विज्ञापन वापस लिए गए वहीं एक दूसरा आदेश स्कूलों में छुट्टियां को लेकर जारी हुआ जिसमें सितंबर से दिसंबर माह तक पहले से घोषित कल 23 छुट्टियों को घटकर 10 छुट्टी कर दिया गया जिससे शिक्षक और शिक्षक संघ नाराज हो गए विपक्षी भाजपा ने भी निशाना साधना शुरू कर दिया और इसे धार्मिक रंग देने की कोशिश की इस आदेश से भी सरकार की किरकिरी होने लगी जिसके बाद सीएम नीतीश कुमार ने खुद इस आदेश को 4 सितंबर को पलट दिया वहीं 5 सितंबर को शिक्षक दिवस पर आयोजित सम्मान समारोह में शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के साथ अपर मुख्य सचिव के के पाठक मंच साझा करने नहीं पहुंचे इसके बाद मंच से उनका नाम प्लेट हटा दिया गया.

मंच साझा नहीं करने पर उठे सवाल

शिक्षा मंत्री के साथ मंच साझा नहीं करने पर केके पाठक पर सवाल उठाए जाने लगे कि केके शिक्षकों और दूसरे कर्मचारियों पर नियमों का पालन करने के लिए दबाव डालते हैं और कार्रवाई करते हैं, वहीं वह खुद संवैधानिक व्यवस्था का उल्लंघन कर रहे हैं क्योंकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में मंत्री विभाग का सर्वोच्च होता है और अधिकारी उसके मातहत काम करते हैं पर के के पाठक अपने विभागीय मंत्री की अनदेखी कर रहे हैं जो कहीं से भी सही नहीं है.
वही इस अवसर पर समारोह में शामिल शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने शिक्षकों को सम्मानित करने के बाद परोक्ष रूप से केके पाठक पर निशाना साधा और कहा शिक्षा को लेकर सुधार अति आवश्यक है लेकिन इस बहाने अगर किसी तरह शिक्षक को परेशान किया जाएगा तो उसपर ध्यान दिया जाएगा.

 

शिक्षामंत्री ने चेताया

मंत्री ने आगे कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी की शिक्षक या कर्मचारी का बाल भी बाँका नहीं कर सकता है. निरीक्षण के नाम पर सुधार के लिए उचित कदम ठीक है लेकिन किसी तरह की दंडनात्मक कार्रवाई किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी.और इसको लेकर ख़ुद सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव देख रहे है.वही शिक्षा विभाग के द्वारा छुट्टी की कटौती के आदेश निकालने और फिर उसे रद्द करने को लेकर शिक्षा मंत्री ने अधिकारियो को नसीहत देते हुए कहा कि हड़बड़ी में किसी तरह का निर्णय नहीं लिया जाय. इससे विभाग की फजीहत और किरकिरी हो रही है.उन्होंने आउटसोर्सिंग की बहाली में गड़बड़ी का मामले की चर्चा की और इस मामले की जाँच करने की उठी मांग पर विचार करने की बात कही.

सीएम के समक्ष ही कुलाधिपति ने अनुशासन की पाठ पढ़ाई  

वहीं दूसरी ओर शिक्षक दिवस पर ही पटना विश्वविद्यालय में आयोजित समारोह में राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने सीएम नीतीश कुमार की मौजूदगी में ही केके पाठक का नाम लिए बिना करारा हमला किया और कहा कि राजभवन और सीएम के बीच में किसी तरह का विवाद नहीं है दोनों शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करना चाह रहे हैं और इसके लिए वे दोनों मिल बैठकर किसी भी समस्या को सुलझाने में सक्षम है पर शिक्षा विभाग का एक सचिव कुलाधिपति को पत्र लिखकर सवाल पूछता है कि उनकी स्वायतता क्या है ..यह समझ से परे है आखिर एक अधिकारी की इतनी हिम्मत कैसे हुई कि वह कुलाधिपति से इस तरह का सवाल करें. सीएम नीतीश के समक्ष कुलाधिपति कि इस तरह का बयान कहीं-कहीं केके पाठक के लिए ही था और के के पाठक के बहाने सीएम नीतीश कुमार को कुलाधिपति आगाह कर रहे थे कि ऐसे अधिकारियों पर लगाम लगावें और उन्हें अनुशासन के साथ काम करने को कहें तभी यहां की शिक्षा व्यवस्था बेहतर हो सकेगी.

सुशील मोदी ने भी सीएम नीतीश को चेताया

वही बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने भी कहा है कि नीतीश कुमार को केके पाठक की वजह से और किरकिरी झेलना पड़ेगी, क्योंकि क पाठक की कार्यशैली ही लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है. इसलिए जरूरी है कि वह समय रहते हुए केके पाठक पर लगाम लगावें

चौतरफा वार का दिखेगा असर या फिर..

बताते चलें की पीत पत्र लिखे जाने के बाद हुए विवाद के बाद शिक्षा मंत्री काफी दिनों तक कार्यालय नहीं जा रहे थे और अपर मुख्य सचिव के के पाठक अपने काम में व्यस्त नजर आ रहे थे पर बदली हुई परिस्थिति में अब शिक्षा मंत्री तो कार्यक्रम में जा रहे हैं लेकिन अपर मुख्य सचिव के के पाठक उनके साथ कार्यक्रम में मंच साझा करने से परहेज कर रहे हैं वहीं अन्य संगठन की तरफ से भी उन पर हमला किया जा रहा है .अब देखना है कि चौतरफा हमला झेल रहे केके पाठक का आगे क्या रुख होता है क्या वह पहले की तरह ही आदेश पर आदेश निकालते हुए अपनी कार्यशैली से व्यवस्था को ठीक करने का प्रयास जारी रखते हैं या फिर उसमें विराम लगता है या फिर उसके आदेश निकालने की जो गति है ..वह धीमी पड़ती है.

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