Desk– बिहार की बेटी गोल्डी कुमारी का संघर्ष दूसरे युवाओं को प्रेरणा देने वाला है यही वजह है कि उसे प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है यह सम्मान आज देश की राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू ने दी है.
बताते चलें कि गोल्डी कुमारी दिव्यांग है और उसने हाल ही में थाईलैंड में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व पैरालंपिक यूथ गेम में एक गोल्ड समेत कुल तीन मेडल जीते थे. उसके बाद लोगों की नजर गोल्डी कुमारी के संघर्ष और साहस पर गई, और उसे सम्मानित करने का निर्णय लिया गया.
बताते चलें कि गोल्डी कुमारी नालंदा जिले के मिसी गांव निवासी संतोष यादव की बेटी है.गोल्डी के साथ बचपन में एक बड़ा हादसा हो गया था. जब वह महज 10 महीने की थी तो वह बीमार पड़ी थी, इसके बाद उसकी मां और दादी उसे दिखाने के लिए पटना के खुसरूपुर स्थित एक डॉक्टर के पास ले जा रहे थे तभी बख्तियारपुर रेलवे जंक्शन पर गोल्डी अपनी मां के साथ ट्रेन के नीचे गिर गई, जिसमें मां की मौत हो गई और गोल्डी का बाया हाथ कट गया. उसकी नानी और दादी ने पालन पोषण किया. दिव्यांग होने के बावजूद वह खेलों में बढ़ -चढ़ कर हिस्सा ले रही थी. आठवीं क्लास में उसने खेल प्रतियोगिता में भागीदारी शुरू की, उसके बाद जिला स्तर, राज्य स्तर और देश स्तर और फिर थाईलैंड जाकर विश्व स्तर की प्रतियोगिता में शामिल हुई और एक गोल्ड और दो कांस्य पदक जीतने में सफल रही.
इसके बाद महिला और बाल विकास मंत्रालय की ओर से गोल्डी का नाम प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के लिए चयनित किया गया और आज राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू ने उसे इस सम्मान से सम्मानित किया. इस सम्मान समारोह में गोल्डी के परिवार के लोग भी शामिल हुए. गोल्डी के साथ ही पूरा परिवार इस अवसर पर काफी खुश नजर आया.