Desk: – एक तरफ नियोजित शिक्षक और शिक्षक अभ्यर्थी संघ नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली का विरोध कर रही है वहीं दूसरी और बिहार सरकार और बीपीएससी नई नियमावली के तहत शिक्षकों की भर्ती को लेकर तेजी से प्रयास कर रही है और इस सिलसिले में बीपीएससी ने शिक्षकों के लिए ली जाने वाली परीक्षा की घोषणा कर दी है.
बीपीएससी द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार एक लाख 78 हजार 462 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए प्रतियोगिता परीक्षा इसी साल अगस्त माह में ली जाएगी.
बताते चलें कि इससे पहले ही बीपीएससी के द्वारा परीक्षा के लिए सिलेबस जारी कर दी गई थी और जरूरी अहर्ता के बारे में भी जानकारी दे दी गई थी.
आयोग की ओर से जारी सूचना के अनुसार 19,20,26, और 27 अगस्त को परीक्षा ली जाएगी। पहली से पांचवी के लिए के एक दिन जबकि नौवी और 10वीं के लिए एक दिन और 10वीं से 12वीं के लिए एक दिन परीक्षा ली जाएगी।
बता दें कि नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली के तहत अब बिहार में शिक्षकों की बहाली बीपीएससी के माध्यम से होगी। सभी शिक्षक अभ्यर्थियों को यह परीक्षा देना अनिवार्य कर दिया गया है। लिखित परीक्षा के साथ साक्षात्कार लेने की भी तैयारी की जा रही है। इसी को लेकर शिक्षक और शिक्षक अभ्यर्थियों की तरफ से विरोध किया जा रहा है। इनका कहना है कि नयी नियमावली के आने से नियोजित शिक्षकों की अनदेखी की जाएगी।
बिहार सरकार के तरफ से यह एलान किया गया है कि 2005 से अब तक जितने नियोजित शिक्षक हैं। अगर वे बीपीएससी परीक्षा पास कर जाते हैं तो उनकी गणना नए शिक्षक की तरह की जाएगी। अब तक जो सेवा नियोजित शिक्षक के रूप में की है, उसे उनके सर्विस में नहीं जोड़ा जाएगा।
वहीं शिक्षकों की मांग है कि सरकार नई शिक्षक नियक्ति नियमावली वापस ले, साथ ही बिना किसी शर्त नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दे। इसी मांग को लेकर पटना में शिक्षक सैकड़ों की संख्या में सड़क पर उतरे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
राज्य सरकार ने हाल ही में आंदोलन करने वाले शिक्षकों को यह चेतावनी दी थी कि अगर कोई शिक्षक धरना प्रदर्शन में शामिल होता है, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। लेकिन सरकार की चेतावनी के बावजूद शिक्षक अभ्यर्थियों ने राज्य सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं.
अब देखना है कि बीपीएससी द्वारा विज्ञापन निकाले जाने के बाद आंदोलन कर रहे नियोजित शिक्षक इस प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल होते हैं या फिर अपनी पूर्व घोषणा के अनुसार इसका बहिष्कार करते हैं अगर इस परीक्षा में शामिल होते हैं तो उन्हें स्थाई शिक्षक बनने का मौका मिल सकता है लेकिन अगर वे अपनी मांगों पर अड़े रहते हुए परीक्षा का बहिष्कार करते हैं तो फिर उन्हें आगे भी नियोजित शिक्षक के रूप में ही काम करना पड़ेगा.