Positive News
सपनों को दे नई उड़ान

शिक्षक के बाद अब छात्रों पर ACS केके पाठक का डंडा:हजारों बच्च्चों का नाम स्कूल से कटा

लगातार तीन दिन तक अनुपस्थित रहने पर अभिभावक को नोटिस और 15 दिन के बाद रजिस्टर से नाम काटने का मिला है आदेश

POSITIVE NEWS LIVE DESK- बिहार सरकार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक के निर्देश से अब शिक्षक और कर्मचारियों के बाद छात्र-छात्राओं पर कार्रवाई होने लगी है. इस कड़ी में दरभंगा में 2000 से ज्यादा छात्र-छात्राओं का नाम स्कूल के रजिस्टर से हटा दिया गया है क्योंकि ये छात्र-छात्र काफी दिनों से स्कूल नहीं आ रहे थे.

हजारो बच्चों का नाम कटा

इस संबंध में दरभंगा के जिला शिक्षा पदाधिकारी(DEO) समर बहादुर सिंह ने कहा कि विभाग के आदेश के आलोक में एक्शन लिया जा रहा है .तीन दिनों तक स्कूल नहीं आने पर संबंधित छात्र-छात्राओं के अभिभावक को नोटिस भेजी जा रही है और जो बच्चे लगातार 15 दिनों तक स्कूल नहीं आ रहे हैं उनका नाम रजिस्टर से हटाया जा रहा है. इस सिलसिले में जिले में कुल 2283 बच्चों का नाम रजिस्टर से हटाया गया है.

केके पाठक ने दिया था आदेश

बताते चलें कि अपर मुख्य सचिव के के पाठक के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को यह आदेश जारी किया था कि लगातार अनुपस्थित रहने वाले छात्र-छात्राओं के अभिभावक से सभी स्कूल के प्राचार्य संपर्क करें और इसके बाद भी अगर छात्र-छात्रा स्कूल नहीं आते हैं तो 15 दिनों के बाद उनका नाम स्कूल से काट दिया जाए .

योजनाओं का लाभ लेने के लिए दो स्कूलों में नाम

आदेश में यह भी कहा गया था कि विभाग को यह शिकायत मिली है कि कई ऐसे छात्र-छात्रा है जिनका नाम निजी स्कूलों में भी है और वे सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए ही सरकारी स्कूलों में अपना नाम लिखे हुए हैं अब ऐसे बच्चे के अभिभावक को यह तय करना होगा कि वह अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाएंगे या निजी स्कूलों में. अगर उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ लेना है तो इसके लिए उन्हें सरकारी स्कूलों में नामांकन के साथ ही उपस्थिति भी दर्ज करानी होगी. इसलिए जो बच्चे स्कूल से अनुपस्थित हो रहे हैं और उनका नाम रजिस्टर से हटाया जा रहा है.

निजी स्कूलों पर दिख रहा असर

शिक्षा विभाग के इस आदेश का असर छोटे-छोटे निजी स्कूलों पर भी पड़ रहा है क्योंकि सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए इन बच्चों के अभिभावक अब निजी स्कूलों से नाम कटाकर सरकारी स्कूलों में ही लिखवा रहे हैं ताकि उन्हें पढ़ाई के साथ ही सरकारी योजनाओं का भी लाभ मिल सके और जिस तरह से केके पाठक स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य कर दी है. उससे इन अभिभावकों में यह उम्मीद जगी है कि अब सरकारी स्कूलों में भी बेहतर पढ़ाई शुरू हो गई है इसलिए बच्चों का नाम सरकारी स्कूल में ही रखा जाना चाहिए.

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More