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सपनों को दे नई उड़ान

POSITIVE NEWS: खुद की आंखों में रोशनी नहीं, पर दूसरे को राह दिखाते रहे गीतकार रविंद्र जैन

धारावाहिक रामायण में उनकी गायी हुई चौपाई समेत कई गीत यादगार

Positive News Live- हम सबों को प्रेरणा देने वाली पॉजिटिव न्यूज़ की सीरीज में आज हम बात करेंगे एक ऐसी शख्सियत की, जिनकी खुद की आंखों ने दुनिया का कोई रंग नहीं देखा, लेकिन उनकी कलम और आवाज की जादू ने पूरी दुनिया को रंगों से भर दिया. उस महान शख्सियत का नाम है रविंद्र जैन.
गीतकार और संगीतकार रविंद्र जैन की आंखों में बचपन से ही रोशनी नहीं थी, पर उनकी लिखी गीत ‘अंखियों के झरोखों से, मैंने देखा जो सांवरे’ आज भी प्रेमी युगल के दिल को सुकून देते हैं.

रविंद्र जैन की जीवनी की बात करें तो उनका जन्म 28 फरवरी 1944 में उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के रामपुर गांव में हुआ था। वे सात भाई-बहन थे। उनके पिता ईन्द्रमणी जैन संस्कृत के बड़े पंडित और आयुर्वेदाचार्य थे। माता का नाम किरन जैन था और रविंद्र उनकी तीसरी संतान थे। वे बॉलीवुड का सफर शुरू करने से पहले जैन भजन गाते थे।9 अक्टूबर, 2015 को उनका निधन हो गया.


रामायण की चौपाई को दी आवाज

रविंद्र जैन ने वर्ष 1972 में उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। जन्म से आंखों में रोशनी ना होने के बाद भी उन्‍होंने हिम्‍मत नहीं हारी। ये दुनिया कितनी खूबसूरत है, उसका अहसास आंखों की बजाय अपने मन से करने वाले रविंद्र जैन की कलम से दिल को सुकून देने वाले गीत निकले। उन्‍होंने जब लिखा- ‘अंखियों के झरोखों से, मैंने देखा जो सांवरे’ तो यह लाखों लोगों का पसंदीदा बन गया। इस गाने को उस दौर की जानी मानी गायिका हेमलता ने आवाज दी थी। रामानंद सागर की लोकप्रिय रामायण धारावाहिक को अपनी दमदार आवाज और कंपोजिशन से लोकप्रिय बनाना हो या हिंदी सिनेमा को प्रेम गीतों से सजाना हो, रविंद्र जैन ने हर काम को बखूबी किया। रामायण की शुरुआत में ऊंचे सुर में ‘मंगल भवन अमंगल हारी द्रवहु सो दसरथ अजिर बिहारी’ सुनाई देता है, यह आवाज उन्‍हीं रविंद्र जैन की है जिन्‍होंने चौपाइयों से रामायण को लोगों के दिलों में बिठा दिया।
गुनगुनाने वाले कई गीत

इसके साथ ही रवींन्द्र जैन के कई गीत आज भी लोकप्रिय हैं। कुछ गीत उनकी कलम से न‍िकले तो कुछ मुख से। गीत गाता चल, ओ साथी गुनगुनाता चल (गीत गाता चल-1975), जब दीप जले आना (चितचोर-1976), ले तो आए हो हमें सपनों के गांव में (दुल्हन वही जो पिया मन भाए-1977), ठंडे-ठंडे पानी से नहाना चाहिए (पति, पत्नी और वो-1978), एक राधा एक मीरा (राम तेरी गंगा मैली-1985), अंखियों के झरोखों से, मैंने जो देखा सांवरे (अंखियों के झरोखों से-1978), सजना है मुझे सजना के लिए (सौदागर-1973), हर हसीं चीज का मैं तलबगार हूं (सौदागर-1973), श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम (गीत गाता चल-1975), कौन दिशा में लेके (फिल्म नदियां के पार), सुन सायबा सुन, प्यार की धुन (राम तेरी गंगा मैली-1985), मुझे हक है (विवाह) जैसे रविंद्र जैन के गीतों ने बॉलीवुड को कई समृद्ध बनाया है।

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रविंद्र जैन ने 1973 में आई अभिनेता शशि कपूर और मुमताज की फ‍िल्‍म चोर मचाए शोर के लिए गीत लिखा- ले जाएंगे, ले जाएंगे, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे। इस गाने को किशोर कुमार और आशा भोसले ने आवाज दी थी। यह गाना इतना जबरदस्‍त हिट हुआ कि 22 साल बाद शाहरुख खान की फ‍िल्‍म का टाइटल बन गया।

मिले कई सम्मान

रविंद्र जैन को हिंदी सिनेमा और संगीत में विशेष योगदान के लिए 2015 में भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्‍कार से नवाजा। वहीं राम तेरी गंगा मैली फ‍िल्‍म के ल‍िए उन्‍हें सर्वश्रेष्‍ठ संगीत निर्देशक का फ‍िल्‍मफेयर पुरस्‍कार मिला था। इसके अलावा उनके नाम दर्जनों प्रतिष्ठित पुरस्‍कार दर्ज हैं। रविंद्र जैन आज हमारे बीच नहीं हैं, पर उनके गीत संगीत और संघर्ष आज भी हमें कुछ बेहतर करने की प्रेरणा देती है.

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