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Positive News Desk- शिक्षकों और छात्रों की अनुशासनहीनता एवं लापरवाही पर सख़्ती करने वाले शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक पर सबसे ज्यादा अनुशासनहीनता करने का आरोप लग रहा है.
इसका ताज़ा उदाहरण बुधवार की बैठक को लिया जा सकता है जिसमे राजभवन के द्वारा शिक्षा विभाग की बैठक में बुलाए जाने के बाद भी के के पाठक शामिल नहीं हुए. इससे पहले पूर्व शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के साथ चल रहे तनातनी के दौरान भी केके पाठक बैठक से अनुपस्थित रहते थे. राजभवन और शिक्षा विभाग के acs के बीच चल रही तनातनी को नीतीश सरकार ख़त्म नहीं कर पा रही है जबकि बीच बचाव की कोशिश डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और मंत्री विजय चौधरी कर चुके हैं वहीं वर्तमान मंत्री सुनील कुमार तो शिक्षा विभाग का प्रभार लेने के बाद इस मुद्दे पर कुछ बोल ही नहीं रहे हैं.
ऐसे में सवाल उठता है कि उच्च शिक्षा का बिहार में क्या होगा.. राज भवन और क पाठक के बीच चल रही तनातनी की वजह से राज्य के सभी विश्वविद्यालय के कुलपति कुलसचिव समेत अन्य पदाधिकारी और छात्र-छात्रा परेशान है.
बताते चलें कि इससे पहले के के पाठक ने उच्च शिक्षा विभाग की कई बैठ के बुलाई थी जिसमें राज्य के सभी विश्वविद्यालय के कुलपति कुल सचिव एवं अन्य पदाधिकारी को बुलाया था पार्क क पाठक की इस बैठक पर राज भवन ने आपत्ति जताई थी और विश्वविद्यालय के सभी पदाधिकारी को बैठक में शामिल होने से मना किया था इससे नाराज के के पाठक ने इन पदाधिकारी के वेतन पर रोक लगा दी थी और फिर दर्ज करने का भी आदेश दिया था. इन सभी मुद्दों की चर्चा बुधवार को राजभवन द्वारा आयोजित उच्च शिक्षा विभाग की बैठक में हुई इस दौरान कुलाधिपति ने कई तरह के निर्देश दिए वहीं कुलपति ने भी अपनी समस्याओं से अवगत करवाया.
इस बैठक में राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने रिक्त पदों पर बहाली, बैंक खाता संचालन, अंकेक्षण आपत्ति का निराकरण करने के निर्देश दिए।
वहीं, इस बैठक में कुलपतियों ने राज्यपाल को बताया कि शिक्षकों के अनेक पद रिक्त हैं, जिससे शिक्षण कार्य में कठिनाई हो रही है। नई शिक्षा नीति, 2020 के तहत पाठ्यक्रम में समावेश किए गए नए विषयों के शिक्षकों को भी नियुक्त किया जाना आवश्यक है। इसके साथ ही पैसों के अभाव में शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतनादि के भुगतान में भी परेशानी हो रही है। विभाग की कार्रवाई से विवि के कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं, जो विद्यार्थियों के हित में नहीं हैं। कुलपति और विश्वविद्यालयों के पदाधिकारियों पर प्राथमिकी दर्ज कराई जा रही है। विवि के खाता संचालन पर रोक लगा दी गई है। राजभवन के बिना संज्ञान में लाये विवि में बार-बार अंकेक्षण कराया जा रहा है।